सरकारी हलफनामे में कहा गया है, ‘‘गुरुग्राम के वजीराबाद के तहसीलदार से मिली रिपोर्ट के अनुसार, यह साफ है कि जमीन मेसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के नाम पर नहीं पायी गयी और यह जमीन अब भी एचएसवीपी/एचएसआईआईडीसी, हरियाणा के नाम पर है।”
चंडीगढ़ – कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा को एक बड़ी राहत मिली है। रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन घोटाले के जो तमाम आरोप लगते रहे हैं उसके बीच उनके लिए जो राहत भरी खबर आई है उससे गांधी परिवार को भी कुछ सुकून मिलेगा। हम आपको बता दें कि हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया है कि कारोबारी रॉबर्ट वाद्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा रियलिटी कंपनी डीएलएफ को जमीन हस्तांतरित करने में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया। हरियाणा सरकार का यह कहना चौंकाता इसलिए भी है क्योंकि 2014 के चुनावों में इस भूमि सौदे में घोटाला करने का आरोप लगा कर भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया था। यह मुद्दा इतना गर्माया था कि भाजपा को इससे सियासी लाभ हुआ और वह सत्ता तक पहुँच गयी थी। कांग्रेस शुरू से ही कहती रही कि भाजपा गलत आरोप लगा रही है लेकिन अब जब सरकार ने अपने हलफनामे में ही कह दिया है कि भूमि सौदे में कोई अनियमितता नहीं हुई तो कांग्रेस को पलटवार के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया है।
हम आपको बता दें कि यह जांच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और कुछ अन्य के खिलाफ सितंबर 2018 में गुरुग्राम में दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ी है। अदालत में दाखिल एक हलफनामे में हरियाणा सरकार ने कहा, ‘‘गुरुग्राम में मानेसर के तहसीलदार ने बताया है कि मेसर्स स्काइटलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 18 सितंबर 2012 को मेसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को 3.5 एकड़ जमीन बेची तथा इस लेनदेन में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया।’’
बहरहाल, हरियाणा पुलिस इस सौदे के दौरान हुए वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है। हलफनामे में कहा गया है, ‘‘आगे की जांच के लिए 22 मार्च 2023 को एक नयी एसआईटी का गठन किया गया जिसमें डीसीपी, दो एसीपी, एक इंस्पेक्टर तथा एक एएसआई है।’’ हलफनामे के अनुसार, गुरुग्राम के खेड़की दौला पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत सितंबर 2018 में हुड्डा तथा कुछ अन्य आरोपियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। नूंह निवासी सुरिंदर शर्मा की शिकायत पर दर्ज इस प्राथमिकी में भूमि सौदों में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। बहरहाल, कांग्रेस, हुड्डा और रॉबर्ट वाड्रा ने कुछ गलत करने से हमेशा इंकार किया।
हम आपको बता दें कि सरकारी हलफनामे में कहा गया है, ‘‘गुरुग्राम के वजीराबाद के तहसीलदार से मिली रिपोर्ट के अनुसार, यह साफ है कि जमीन मेसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के नाम पर नहीं पायी गयी और यह जमीन अब भी एचएसवीपी/एचएसआईआईडीसी, हरियाणा के नाम पर है।’’ हम आपको यह भी बता दें कि सितंबर 2018 की प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया है कि गुरुग्राम के वजीराबाद में 350 एकड़ भूमि डीएलएफ को नियमों का उल्लंघन कर आवंटित की गई।
यह हलफनामा गुरुग्राम के पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) डॉ. राज श्री सिंह ने अदालत में दाखिल किया। इसमें कहा गया है कि एसआईटी ने अभी कुछ पक्षकारों के बयान दर्ज नहीं किए है जबकि मामले में शामिल विभिन्न बैंकों तथा कुछ सरकारी विभागों से कुछ रिकॉर्ड या स्पष्टीकरण मिलने बाकी है। हम आपको यह भी बता दें कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशोक खेमका ने गुरुग्राम जिले में मानेसर-शिकोहपुर में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी तथा डीएलएफ के बीच हुए 3.5 एकड़ के भूमि सौदे के नाम परिर्वतन को रद्द कर दिया था। दरअसल नाम परिवर्तन किसी जमीन के मालिकाना हक को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया का हिस्सा होता है।