रायपुर – आज पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने केंद्र सरकार को 2 पत्र लिखे जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर 1992 से आरक्षण से वंचित छत्तीसगढ़ के महार/मेहरा/मेहर जाति को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति की सूची में प्रतिस्थिापित करने का आग्रह किया है। पूर्व सीएम रमन सिंह ने पत्र में लिखा कि छत्तीसगढ़ राज्य में महारा/महरा जाति को छत्तीसगढ राज्य अनुसूचित जाति की सूची के सरल कमांक 33 में महार/मेहरा/मेहर के साथ प्रतिस्थापित करने हेतु समाज के प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन प्रस्तुत किया है। उन्होंने विशेष ध्यान देते हुए उल्लेखित किया कि छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग में महारा समुदाय की जनसंख्या लगभग 6 लाख से अधिक है, जो वर्ष 1992 से आरक्षण से वंचित हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने महरा, माहरा समुदाय को छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जातियों की सूची में महार, मेहरा, मेहर की पर्यायवाची के रूप में शामिल करने की अनुशंसा प्रस्ताव दिनांक 07.12.2021 23.12.2021. 10.01.2022 और 28.01.2022 अनुसार की है, एवं प्रक्रिया अनुसार भारत के महारजिस्ट्रार एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रस्ताव का परीक्षण कर सहमति व्यक्त कर दी है। जिसमें कि भारत सरकार राजपत्र दिनांक 18.12. 2002 अनुसार पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश सरकार में महार, मेहरा, मेहर, महारा को अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखने की मान्यता प्रदान कर दी है।
इस संबंध में डॉ रमन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 (2) के परिपेक्ष्य में प्रस्ताव संसद के विचारार्थ एवं पारित करने हेतु विधेयक के रूप में प्रसंस्कृत किये जाने के लिए विधेयक संसद में प्रस्तुत करने हेतु निर्देश देने का आग्रह किया।
*बस्तर के आम लोगों को भी दिल्ली के लिए मिले हवाई सुविधा, डॉ रमन सिंह ने केन्द्रीय मंत्री सिंधिया को लिखा पत्र*
इसके साथ ही डॉ रमन सिंह ने गृह मंत्रालय और इंडिगो के मध्य हुये अनुबंध के अनुसार बस्तर के नक्सल मोर्चे पर तैनात हजारों जवानों के लिये बस्तर से दिल्ली तक निःशुल्क हवाई सुविधा के लिए केन्द्रीय मंत्री सिंधिया को आभार प्रकट किया। इसके उपरांत उन्होंने पत्र में आगे लिखा कि बस्तर के आम नागरिकों के लिये दिल्ली हेतु कोई सीधी रेल या बस सेवा नही है, गृह मंत्रालय के उपरोक्त अनुबंध अनुसार केवल अर्धसैनिक बल के जवानों के लिये सप्ताह में 3 दिन इंडिगो का 70 सीटर विमान संचालित है, यदि इस 70 सीटर विमान के स्थान पर 114 सीटर विमान का संचालन कर, अर्धसैनिक बल के अलावा शेष 30-40 सीटें आम नागरिकों के लिये आरक्षित कर, हवाई सेवा संचालित की जाये तो आम नागरिकों के लिये बहुत बड़ी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।