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कौन है महिला नागा साध्वी, क्या महाकुंभ में नागा साध्वी भी करती है शाही स्नान? जानें महत्व

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महिला नागा साध्वियों का शाही स्नान भी उतना ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है जितना कि पुरुष नागा साधुओं का। ये साध्वियां अखाड़ों के अनुशासन और परंपराओं का पालन करते हुए शाही स्नान में हिस्सा लेती हैं। यह आयोजन दर्शाता है कि अध्यात्म और भक्ति के मार्ग पर पुरुष और महिलाएं समान रूप से आगे बढ़ सकते हैं

प्रयागराज Mahakumbh 2025 – अगले साल 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन होगा, ये दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला माना जाता है। जिससे में कुल 6 शाही स्नान होंगे, इस महाकुंभ में देश- विदेश से साधु संत स्नान करने आएंगे। हम अक्सर नागा साधुओं के शाही स्नान के बारे में सुनते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही ये जानते होंगे के पुरुष नागा साधु जैसे महिला नागा साध्वियां भी शाही स्नान करती हैं, आइए जानते हैं नागा साध्वियों के शाही स्नान का इतिहास।

महिला नागा साध्वियां वह साध्वी होती हैं जो संन्यास धारण कर कठिन तपस्या और साधना के मार्ग पर चलती हैं। ये साध्वी अपने सांसारिक जीवन को त्यागकर भगवान की भक्ति और साधना में लीन हो जाती हैं। नागा साधु और साध्वियों की पहचान उनके विशेष रूप से निर्वस्त्र या बहुत ही साधारण वस्त्र धारण करने, शरीर पर भभूत लगाने और कठिन जीवनशैली अपनाने से होती है। महिला नागा साध्वियां भी पुरुष नागा साधुओं की तरह अखाड़ों से जुड़ी होती हैं और उनके जीवन में धर्म और अध्यात्म का विशेष स्थान होता है।

महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व

महाकुंभ मेला भारत का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ो श्रद्धालु और साधु-संत सम्मिलित होते हैं। इस महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान होंगे, शाही स्नान महाकुंभ का मुख्य आकर्षण होता है, जिसे बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि शाही स्नान के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भस्म लपेटे नागा साधु इस महाकुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण होंगे।

महिला नागा साध्वियां और शाही स्नान
हिंदू धर्म शास्त्रों में पुरुष नागा साधु के शाही स्नान के बार में मिलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ के शाही स्नान में महिला नागा साधु भी हिस्सा लेती हैं। हालांकि, इनकी संख्या पुरुष नागा साधुओं की तुलना में कम होती है। महिला नागा साध्वियों का शाही स्नान भी उतना ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है जितना कि पुरुष नागा साधुओं का। ये साध्वियां अखाड़ों के अनुशासन और परंपराओं का पालन करते हुए शाही स्नान में हिस्सा लेती हैं।

यह आयोजन दर्शाता है कि अध्यात्म और भक्ति के मार्ग पर पुरुष और महिलाएं समान रूप से आगे बढ़ सकते हैं। उनका स्नान एक प्रेरणा का स्रोत बनता है और समाज को एक सकारात्मक संदेश देता है कि महिलाएं भी कठिन तपस्या और साधना के मार्ग पर चल सकती हैं।

आस्था, परंपराओं और अध्यात्म का प्रतीक
महाकुंभ 2025 में कुल 6 शाही स्नान होंगे, जिनमें सभी अखाड़े और उनके साधु-संत हिस्सा लेंगे। महिला नागा साध्वियां भी अपने अखाड़ों के साथ पारंपरिक ढंग से संगम में स्नान करेंगी। यह आयोजन धार्मिक आस्था, परंपराओं और अध्यात्म का प्रतीक है, जो पूरे विश्व के श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में महिला नागा साध्वियों के शाही स्नान का खास महत्व बताया गया है.