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मतदान करने के कुछ ही घंटे बाद भाजपा प्रत्याशी का निधन, इस सीट से उतरे थे चुनावी मैदान में

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मुरादाबाद – यहां से बीजेपी प्रत्याशी सर्वेश सिंह का निधन हो गया है। मुरादाबाद में कल ही वोट डाले गए थे। सर्वेश सिंह भी मतदान करने पहुंचे थे। उनकी कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ी थी। उनके दांत में कुछ दिक्कत हुई थी। इसका इलाज काराया था। उसके बाद दिक्कत बढ़ने पर दिल्ली एम्स में दिखाने गए थे। बताया जाता है कि वहीं पर हार्ट अटैक आया है। सर्वेश सिंह पश्चिमी यूपी के अकेले ठाकुर प्रत्याशी थे। उनके निधन की खबर से भाजपा में शोक की लहर दौड़ गई है।

वह नामांकन के बाद से लगातार बीमार चल थे। पहले चरण में 19 अप्रैल को उन्होंने अपने पैतृक गांव रतूपुरा में वोट भी डाला था लेकिन देर शाम उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती किया गया था, जहां शनिवार शाम करीब साढ़े छह बजे दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया। सर्वेश सिंह के बेटे सुशातं सिंह बिजनौर की बढ़ापुर सीट से भाजपा से विधायक हैं।

सर्वेश सिंह के मुंह में कुछ तकलीफ थी। उसी के चलते कुछ दिन पहले उनकी दिल्ली में सर्जरी हुई थी। इसके कारण वह लोकसभा के लिए नामांकन वाले दिन से चुनाव क्षेत्र से गायब थे। उनके बेटे ने ही चुनाव की कमान संभाल रखी थी। आराम मिलने पर वह अमित शाह की रैली में मंच पर दिखे थे। 19 अप्रैल को मतदान के बाद फिर से तबीयत असहज लगने पर वह शुक्रवार को देर रात दिल्ली के एम्स में डॉक्टर को दिखाने पहुंचे थे।

पूर्व सांसद के भतीजे व प्रतिनिधि अमित सिंह ने बताया कि शनिवार को एम्स में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। देर रात तक उनका शव पैतृक गांव लाया जाएगा। उनके निधन की जानकारी मिलते ही सियासी और सामाजिक हलके में शोक की लहर दौड़ गई। देर रात किसी समय पार्थिव शरीर मुरादाबाद पहुंचेगा।

मुरादाबाद सीट से 2014 में बने थे सांसद

कुंवर सर्वेश सिंह 2014 में मुरादाबाद सीट से सांसद चुने गए थे। इससे पहले 2009 में वह पहली बार इस सीट से सांसद का चुनाव लड़े पर कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद अजहरुद्दीन से वह हार गए थे। 2019 में भी भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया पर सपा बसपा के गठबंधन में वह सपा प्रत्याशी डा. एसटी हसन से चुनाव हार गए। इस बार भी पहले उनका टिकट होल्ड रहा बाद में पार्टी ने उन्हें ही प्रत्याशी घोषित कर दिया। सर्वेश सिंह सांसद बनने से पूर्व ठाकुरद्वारा विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। उनके पिता रामपाल सिंह भी इसी सीट से चार बार विधायक और एक बार अमरोहा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं।

भिड़ जाते थे कार्यकर्ताओं के लिए अफसरों से

सर्वेश सिंह अपनी दबंग छवि के लिए जाने जाते थे। विधायक और सांसद रहते उनके कई किस्से हैं जिसमें वह कार्यकर्ताओं के लिए अफसरों से भिड़ते रहे हैं। अपने क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ रही है। तभी उस दौर में भी जीतते रहे हैं जब भाजपा को मुरादाबाद में एक भी सीट नहीं मिलती थी। 2007 का चुनाव वह बसपा से हारे थे इसके बार सपा के शासन काल में भी 2012 में भी ठाकुरद्वारा से विधायक बने। इस बीच 2014 का लोकसभा चुनाव लड़े और जीते। सर्वेश सिंह का भाजपा नेताओं में अलग अंदाज था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उनके अच्छे संबंध थे। योगी कई बार उनके रतूपुरा आवास पर भी आ चुके हैं।

काउंटिंग पर कोई असर नहीं होगा

नियमों के अनुसार वोटिंग से पहले किसी राजनीतिक दल के प्रत्याशी के निधन पर चुनाव कैंसिल हो जाता है। यहां वोटिंग हो चुकी है ऐसा में काउंटिंग पर फिलहाल कोई असर नहीं होगा। मतगणना के बाद अगर सर्वेश सिंह जीतते हैं तो यह सीट रिक्त घोषित हो जाएगी और दोबारा चुनाव की प्रक्रिया होगी। सर्वेश सिंह के सामने सपा ने रुचि वीरा को मैदान में उतारा था। रुचि वीरा से ही सर्वेश सिंह का मुकाबला था।