खरगोन – मध्य प्रदेश सहित खरगोन के जंगलों में कई सारे जीव जंतु पाए जाते हैं. कई बार ये जानवर इंसानी इलाकों में घुस आते हैं. इनमें सांप एक ऐसा प्राणी हैं, जिसकी आए दिन लोगों के साथ मुठभेड़ होती है. जहरीले सांपों के डसने पर लोगों की मौत हो जाती है, तो वहीं इंसान भी खुद को बचाने के लिए सांपों को मार देते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में सांपों को मारने की घटनाएं कम हुई है. इसके पीछे नवीन कुमार और उनके साथियों की एक सोच है, जो छोटे से गांव से निकलकर जिले भर में फैल गई.
दरअसल, नवीन कुमार खरगोन के छोटे से गांव चोली के रहने वाले है. वर्तमान में मंडलेश्वर में निवास कर रहे है. इनके बारे में हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि नवीन ने 2015 से लेकर अब तक करीब 10,000 से ज्यादा सांपों का सफल रेस्क्यू करके उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है. इतने सालों में कभी भी रेस्क्यू के दौरान वह किसी सर्पदंश के शिकार नहीं हुए. जहरीले सांपों को भी वह इतनी सरलता से पकड़ लेते है जैसे मानो दोनों के बीच बरसों पुरानी दोस्ती हो.
देखकर बता देते हैं प्रजाति, उम्र और लिंग
नवीन कुमार अब क्षेत्र में सर्प मित्र के नाम से जाने जाते हैं. आसपास किसी भी जगह सांप देखा जाए तो लोग तुरंत उन्हें फोन करते हैं और नवीन बिना देर किए स्वयं के खर्चे से स्पॉट पर पहुंच जाते हैं. ताकि सांप से इंसानों को और इंसानों को सांप से बचाया जा सके. उनकी इसी सोच की वजह से आज क्षेत्र में सांपों को मारने की घटनाएं कम हो गई है. सांपों को पकड़ते हुए अब नवीन को इतनी महारत हासिल हो चुकी है की सांप को देखकर उसकी प्रजाति, उम्र और लिंग तक बता देते है.
नवीन कुमार अब क्षेत्र में सर्प मित्र के नाम से जाने जाते हैं. आसपास किसी भी जगह सांप देखा जाए तो लोग तुरंत उन्हें फोन करते हैं और नवीन बिना देर किए स्वयं के खर्चे से स्पॉट पर पहुंच जाते हैं. ताकि सांप से इंसानों को और इंसानों को सांप से बचाया जा सके. उनकी इसी सोच की वजह से आज क्षेत्र में सांपों को मारने की घटनाएं कम हो गई है. सांपों को पकड़ते हुए अब नवीन को इतनी महारत हासिल हो चुकी है की सांप को देखकर उसकी प्रजाति, उम्र और लिंग तक बता देते है.
अपने ही घर-गांव से मिली प्रेरणा
नवीन बताते हैं कि कि पहले गांव में जब किसी के घर में सांप निकल आता था तो लोग कई घंटे तक घर के बाहर बैठे रहते थे, जब तक सांप खुद घर से निकल न जाए. क्योंकि गांव में कभी भी सांप को मारना नहीं थे. ऐसे में कई बार लोगों को पूरा दिन और पूरी रात घर से बाहर गुजारनी पड़ती थी. तभी मन में आया की सांपों का रेस्क्यू किया जाए और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके.सांपों के अलावा दूसरे जानवरों का भी रेस्क्यू
आपको बता दे कि, नवीन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक संस्था भी बनाई है जिसका नाम ईको वेलफेयर सोसाइटी है. अभी संस्था के माध्यम से उनके साथ कई लोग जुड़े हैं और न सिर्फ सांप बल्कि अन्य वन्य प्राणी जैसे – तेंदुआ, मगरमच्छ, जंगली सुअर, सियार आदि का भी सफल रेस्क्यू यह लोग कर रहे हैं. इस काम के लिए किसी से पैसे नहीं लेते हैं. नवीन का मानना है कि हर कोई सक्षम नहीं है, हमारे लिए पैसे महत्वपूर्ण नहीं है लोगों और वन्यजीवों की जान महत्वपूर्ण है.
नवीन बताते हैं कि कि पहले गांव में जब किसी के घर में सांप निकल आता था तो लोग कई घंटे तक घर के बाहर बैठे रहते थे, जब तक सांप खुद घर से निकल न जाए. क्योंकि गांव में कभी भी सांप को मारना नहीं थे. ऐसे में कई बार लोगों को पूरा दिन और पूरी रात घर से बाहर गुजारनी पड़ती थी. तभी मन में आया की सांपों का रेस्क्यू किया जाए और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके.सांपों के अलावा दूसरे जानवरों का भी रेस्क्यू
आपको बता दे कि, नवीन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक संस्था भी बनाई है जिसका नाम ईको वेलफेयर सोसाइटी है. अभी संस्था के माध्यम से उनके साथ कई लोग जुड़े हैं और न सिर्फ सांप बल्कि अन्य वन्य प्राणी जैसे – तेंदुआ, मगरमच्छ, जंगली सुअर, सियार आदि का भी सफल रेस्क्यू यह लोग कर रहे हैं. इस काम के लिए किसी से पैसे नहीं लेते हैं. नवीन का मानना है कि हर कोई सक्षम नहीं है, हमारे लिए पैसे महत्वपूर्ण नहीं है लोगों और वन्यजीवों की जान महत्वपूर्ण है.