डूम्सडे क्लॉक, जिसे कयामत की घड़ी भी कहा जाता है, इसने एक बार फिर मानवता के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। यह घड़ी मानव निर्मित खतरों, विशेषकर परमाणु युद्ध और जलवायु परिवर्तन के कारण विनाश की संभावना को दर्शाती है।
हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, Doomsday Clock मिडनाइट (रात के 12 बजे) से मात्र 89 सेकेंड दूर है। यह घड़ी मध्यरात्रि के और भी करीब पहुंच गई है, जो यह दर्शाता है कि हम विनाश की कगार पर हैं।
यह एक सांकेतिक घड़ी है जिसे बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स द्वारा बनाया गया है। यह घड़ी मध्यरात्रि को संकट के अंतिम बिंदु के रूप में दर्शाती है। हर साल, वैज्ञानिकों का एक समूह विश्व के सामने मौजूद खतरों का आकलन करता है और घड़ी को उसी के अनुसार आगे या पीछे करता है।
पिछले दो वर्षों से डूम्सडे क्लॉक घड़ी मिडनाइट में 90 सेकेंड दूर थी। यह समूह 1947 के शुरुआत से डूम्सडे क्लॉक का उपयोग दुनिया के अंत होने के संभावित खतरे को दिखाने के लिए करता आया है। शीत युद्ध के अंत के बाद यह घड़ी मिडनाइट से 17 मिनट दूर थी। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक खतरों को देखते हुए यह समूह ने इस घड़ी के समय सेकेंड में गिन रहा है।
हम क्या कर सकते हैं
हम सभी को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करने के लिए काम करना होगा। हमें अपने नेताओं पर दबाव डालना होगा कि वे जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाएं, परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकें, और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दें।
क्या है इसका मतलब
डूम्सडे क्लॉक घड़ी के मध्यरात्रि के करीब पहुंचने का मतलब है कि मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा बढ़ गया है। यह एक चेतावनी है कि हमें जलवायु परिवर्तन, परमाणु हथियारों के प्रसार, और अन्य वैश्विक खतरों से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।