कोर्ट का बड़ा आदेश, जेल में बंद शख्स को भी देना होगा पत्नी को गुजारा भत्ता
जयपुर – मेट्रो द्वितीय की अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) कोर्ट-5 ने अदालत का आदेश होने के बाद भी पत्नी को तीन साल तक गुजारा भत्ता न देने वाले पति को तीन साल के जेल की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा है कि हर महीने का भरण पोषण भत्ता न देने के लिए पति को हर महीने की सजा की गणना करते हुए जेल में रखा जाए. इस दौरान वह जितनी राशि गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी को देगा, उतनी सजा कम कर दी जाएगी.
किसकी अपील पर अदालत ने सुनाया यह फैसला
अदालत ने यह आदेश परिवादी अनिता कुमारी खटीक के प्रार्थना पत्र पर दिया. अनिता के वकील शिव जोशी ने अपनी याचिका में बताया था कि परिवादी ने पहले अपने पति के खिलाफ परिवाद दायर किया था. उस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 22 फरवरी, 2022 को आदेश दिया था कि पति परिवादी पत्नी को भरण पोषण के लिए हर माह पांच हजार रुपये का गुजारा भत्ता दे.
अदालत ने कहा था कि प्रार्थना पत्र लंबित रहने की अवधि की अंतरिम राशि का वह एकमुश्त भुगतान तीन माह में करें.अनिता ने अपनी याचिका में कहा कि उसके पति पर 36 माह की भरण पोषण की कुल राशि एक लाख अस्सी हजार रुपए बकाया हो गए हैं,लेकिन उसने अब तक उसका भुगतान नहीं किया है. इस पर अदालत ने पति के खिलाफ वसूली वारंट जारी किया.
अदालत के आदेश पर पति गिरफ्तार
अदालत के आदेश पर करणी विहार थाना पुलिस ने पति ताराचंद को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया. लेकिन उसने अंतरिम भरण पोषण राशि अदा करने से इनकार कर दिया. इस पर परिवादी की ओर से कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 125 क उपधारा तीन में प्रावधान है कि हर महीने की बकाया राशि के लिए उसे एक माह के लिए जेल भेजा जाए.
वकील ने दलील दी कि ताराचंद को 36 माह की बकाया राशि के चलते तीन साल के लिए जेल भेजा जाए.इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपी को तीन साल के लिए जेल भेज दिया.