मुजफ्फराबाद – पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में आयोजित पहला साहित्यिक उत्सव आयोजकों के लिए उल्टा पड़ गया। बीबीसी के लिए जम्मू-कश्मीर के चुनावों को कवर करने वाले पाकिस्तान के सबसे प्रमुख पत्रकारों में से एक वुसतुल्लाह खान ने अपने भाषण की शुरुआत में ही 1971 में पूर्वी पाकिस्तान पर और पिछले 75 वर्षों में कश्मीर पर पाकिस्तान की नीतियों की आलोचना के साथ की।
खान को कश्मीर मुद्दे के कुछ लीक से हटकर समाधान पर बोलना था। उन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर एक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक बड़े राजनीतिक वर्ग के लिए एक उद्योग है, उनके स्पष्ट बोलने से दर्शकों के एक वर्ग ने नारेबाजी शुरू कर दी।
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पाकिस्तानी पत्रकार ने कहा कि क्षमा करें, कश्मीर कोई मुद्दा नहीं है। ये एक उद्योग हैं। इस उद्योग के साथ कश्मीर समिति की आजीविका जुड़ी हुई है। फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और आज़ाद कश्मीर (पीओके) के पूरे राजनीतिक वर्ग की आजीविका इससे जुड़ी हुई है। तो मुझे लीक से हटकर समाधान बताकर अपने पेट पर लात मारने की क्या जरूरत है। इस (कश्मीर मुद्दे) उद्योग के कारण, हमें गाड़ियां, भारी भत्ते और हमारे बजट का 90 प्रतिशत केंद्र (इस्लामाबाद) से मिलता है। प्रशासन ब्रैडफोर्ड (यूके) में कश्मीरियों को कश्मीर का मसला समझा रही है। वुसतुल्लाह खान ने पिछले 75 वर्षों में पाकिस्तान सरकार की नीतियों का जिक्र किया तभी भीड़ की तरफ से नारे लगने लगे कि ये मुल्क हमारा है, इस का फैसला हम करेंगे। उन्होंने कहा कि 75 सालों से ऐसे ही नारे लग रहे हैं और सिर्फ नारे ही लगे हैं।
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हमारे (पाकिस्तान के) कश्मीर नैरेटिव को पढ़ने की गलती न करें। यह बिल्कुल स्पष्ट है। इस राज्य की कश्मीर नीति अच्छी तरह से निर्धारित है। हमें इसका समर्थन करना चाहिए और विकल्प या लीक से हटकर समाधान खोजने का कोई प्रयास किए बिना आगे बढ़ना चाहिए।