नई दिल्ली – दिसंबर लगातार दूसरा महीना था जिसमें जिसमें खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 (+/- 2) फीसदी के टॉलरेंस बैंड के भीतर आ गई थी। दो महीने की गिरावट के बाद जनवरी महीने में यह फिर इस टॉलरेंस बैंड के बाहर पहुंच गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर 2022 में 6.77 प्रतिशत और नवंबर में 5.88 प्रतिशत थी।
दिसंबर में ग्रामीण क्षेत्रों में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति नवंबर के 6.09% से घटकर दिसंबर में 6.05% हो गई थी। वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह 5.39% रही थी। खुदरा महंगाई दर लगातार 40 महीने से मध्यम अवधि के लक्ष्य चार प्रतिशत से ऊपर रही है।
ग्रामीण और शहरी भारत में खुदरा मुद्रास्फीति क्रमश: 6.85 प्रतिशत और 6.00 प्रतिशत रही। समूहों में अनाज और उत्पादों, अंडे, मसालों सहित अन्य सामग्री ने जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि में योगदान दिया है। पिछले साल मई से रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए अल्पकालिक ब्याज दर में 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। इसी महीने रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई है। रेपो दर बढ़ाने से अर्थव्यवस्था में मांग को कम करने में मदद मिलती है और इस प्रकार मुद्रास्फीति के प्रबंधन में मदद मिलती है।