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मुरैना प्लेन हादसाः वायुसेना के सुखोई 30- मिराज 2000 क्रैश, जानिए भारत के लिए कितना बड़ा नुकसान

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नई दिल्ली – सुखोई-30 चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है, जिसके आधुनिक वर्जन सुखोई 30एमकेआई को रूस की कंपनी सुखोई और भारतीय कंपनी एचएएल ने मिलकर विकसित किया है। दो सीटों वाला यह मल्टी रोल फाइटर जेट दुनिया के सक्षम लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। इस विमान में दो टर्बोजेट इंजन लगे हैं, जो अधिकतम 2120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। 21.9 मीटर लंबा और 6.4 मीटर ऊंचे इस विमान की कुल चौड़ाई 14.7 मीटर है।  इस विमान का कुल वजन 38,800 किलोग्राम है।

फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट द्वारा निर्मित मिराज 2000 फाइटर जेट भारतीय वायुसेना के टॉप फाइटर जेट में से एक है। यह विमान पहली बार साल 1985 में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बना था। भारतीय वायुसेना के पास 50 मिराज 2000 फाइटर जेट हैं। सिंगल शाफ्ट इंजन SNECMA M53 से लैस यह विमान सिंगल सीटर है। मिराज 2000 की लंबाई 14.36 मीटर, पंखों समेत चौड़ाई 91.3 मीटर है। इस प्लेन का कुल वजन 7500 किलोग्राम है, जो कुल 17 हजार किलोग्राम वजन को लेकर उड़ान भर सकता है। मिराज 2000 फाइटर जेट की टॉप स्पीड 2336 किलोमीटर प्रतिघंटा है और यह एक बार में अधिकतम 1550 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। बता दें कि मिराज 2000, रूस में बने सुखोई 30 से भी तेजी से उड़ान भर सकता है। मिराज अधिकतर 59 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। वायुसेना के सुखोई-30 और मिराज-2000 क्रैश,कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश जारी

मिराज 2000 लेजर गाइडेड बम, एयर टू एयर और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। मिराज में थॉमसन सीएसएफ आरडीवाई रडार सिस्टम लगा है और फ्लाइ बाय वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम लगा है, जिसमें सेक्सटेंट वीई-130 HUD लगा है। जिस पर फ्लाइट कंट्रोल, नेविगेशन, टारगेट इंगेजमेंट और वेपन फायरिंग का डाटा डिस्पले होता है। भारत के अलावा फ्रांस, इजिप्ट, यूएई, पेरू, ताइवान, ग्रीस और ब्राजील की वायुसेनाएं भी मिराज 2000 विमान का इस्तेमाल करती हैं। कारगिल युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान मिराज 2000 विमानों ने अहम भूमिका निभाई थी।