कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चार बार के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री बन सकते हैं। कांग्रेस विधायक दल और हाईकमान ने सुक्खू के नाम पर मुहर लगा दी है। जल्द ही सुक्खू के नाम का औपचारिक एलान हो सकता है। मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का नाम था। प्रतिभा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं।
आइए जानते हैं प्रतिभा सिंह की बजाय सुखविंदर सिंह को क्यों चुना गया हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री? सुक्खू ने कैसे सियासी पारी की शुरुआत की?
पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू को जान लीजिए
सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म हमीरपुर जिले की नादौन तहसील के सेरा गांव में 26 मार्च 1964 को हुआ। पिता रसील सिंह हिमाचल परिवहन निगम में बस चालक थे। माता संसार देई गृहिणी हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्कूलिंग से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई शिमला से ही की। सुखविंदर ने एलएलबी की डिग्री हासिल की है।
चार भाई-बहनों में सुखविंदर सिंह सुक्खू दूसरे नंबर पर हैं। बड़े भाई राजीव सेना से रिटायर हैं। दो छोटी बहनों की शादी हो चुकी है। 11 जून 1998 को सुखविंदर सिंह सुक्खू की शादी कमलेश ठाकुर से हुई। इनकी दो बेटियां हैं जो दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एनएसयूआई से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। संजौली कॉलेज में पहले कक्षा के क्लास रिप्रेजेंटेटिव और स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन के महासचिव चुने गए। उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। 1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1995 में युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने।
1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। नगर निगम शिमला के दो बार पार्षद बने। 2003, 2007, 2017 और अब 2022 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक चुने गए। 2008 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने। आठ जनवरी 2013 से 10 जनवरी 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। अप्रैल 2022 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं टिकट वितरण कमेटी के सदस्य बने।
सुखविंदर का नाम क्यों हुआ फाइनल?
इसे समझने के लिए हमने हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण गोपाल ठाकुर से बात की। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में काफी उठापठक थी। जो नाम सीएम की रेस में थे, वो काफी बड़े थे। ऐसे में किसी एक के नाम को फाइनल करना काफी बड़ी चुनौती थी। पार्टी के दो गुटों में बंटने का भी डर था।’
कृष्ण गोपाल ने आगे पांच कारण बताए कि आखिर क्यों सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम ही फाइनल किया गया? आइए जानते हैं…
1. उपचुनाव नहीं चाहती पार्टी: कांग्रेस हाईकमान किसी भी हालत में अभी उपचुनाव नहीं चाहती है। सुखविंदर सिंह सुक्खू विधायक चुने जा चुके हैं, जबकि प्रतिभा सिंह अभी सांसद हैं। अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाता, तो कांग्रेस को दो उपचुनाव कराने पड़ते। पहला विधानसभा और दूसरा मंडी लोकसभा सीट पर। इस बार हिमाचल प्रदेश में हुए चुनाव में मंडी लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली 17 में से 12 विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत हुई है। मतलब अगर उपचुनाव होते तो कांग्रेस को ये सीट हारने का डर था। वहीं, विधानसभा के अन्य सीटों पर भी जो जीत मिली है, वो बहुत कम मार्जिन से मिली है। ऐसे में उपचुनाव में भी हार का डर था।
2. परिवारवाद के आरोपों को खारिज करना चाहती है पार्टी: कांग्रेस पर हमेशा से परिवारवाद का आरोप लगता रहा है। प्रतिभा सिंह के पति वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश में लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। उनके बेटे भी विधायक हैं और खुद प्रतिभा सिंह सांसद हैं। ऐसे में अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो एक बार फिर से कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगता।
3. जमीन और पहाड़ का ट्रेंड भी बदलना था: हिमाचल प्रदेश में हमेशा से पहाड़ से आने वाले को ही मुख्यमंत्री बनाया गया है। सुखविंदर सिंह सुक्खू हमीरपुर से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में पार्टी हाईकमान इस ट्रेंड को भी बदलने की कोशिश में थी। अब सुखविंदर को सीएम बनाकर ये ट्रेंड बदल दिया गया।
4. प्रियंका गांधी के करीबी बन गए सुखविंदर: हिमाचल प्रदेश चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने शिमला में डेरा डाल रखा था। शिमला में स्थित अपने घर से वह पूरे चुनाव पर नजर बनाए हुईं थीं। इस दौरान सुखविंदर सिंह के साथ मिलकर उन्होंने चुनाव का पूरा एजेंडा सेट किया। सुखविंदर कैंपेन के प्रभारी थे। ऐसे में दोनों ने मिलकर पूरे चुनाव की रूपरेखा ही बदल डाली।
5. पंजाब तक पड़ेगा असर: हिमाचल प्रदेश से सटे पंजाब में इस बार कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा। सत्ता तो हाथ से गई ही, साथ में सीटों में भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। ऐसे में सुखविंदर सिंह सुक्खू के जरिए कांग्रेस पंजाब में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करेगी।