एस सिंहदेव के इस्तीफे के बाद पंचायत विभाग की जिम्मेदारी मंत्री रविंद्र चौबे को सौंपी गई है. सिंहदेव अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे.
रायपुर – छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी देखेंगे. वहीं, टीएस सिंहदेव के पास स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी रहेगी. सिंहदेव के इस्तीफे के बाद नई जिम्मेदारी के संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. छत्तीसगढ़ के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार शाम करीब छह बजे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चार पेज का इस्तीफा भेजा था. हालांकि सिंहदेव अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे.
रविंद्र चौबे को मंत्री टी एस सिंह देव ने दी बधाई
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मंत्री रविंद्र चौबे को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा है कि मंत्री रविंद्र चौबे बहुत ही अनुभवी विधायक हैं. बेहतर काम होगा. जब उनसे पूछा गया कि आपका विभाग रविन्द्र चौबे को दिए जाने की क्या जानकारी आपको थी तो सिंहदेव कहा कि यह विभाग सीएम खुद रखेंगे या किसी को देंगे, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी.
सिंहदेव से जब पूछा गया कि इस्तीफे के बाद से क्या आपकी सीएम बघेल से भेंट मुलाकात या फिर किसी तरह की चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि इस्तीफे के बाद से मुख्यमंत्री से चर्चा नहीं हो सकी है. हालांकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान के दौरान जरूर विधानसभा में हमारी मुलाकात हुई थी, लेकिन कोई बात नहीं हुई. उस दिन हम लोग विधानसभा में ही थे, लेकिन न तो सीएम ने चेंबर में बुलाया, ना ही किसी तरह की इससे संबंधित चर्चा हुई.
हदेव ने इस्तीफे में क्या लिखा
सिंहदेव द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए इस्तीफे में लिखा है कि “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य के लोगों को आवास उपलब्ध कराया जाना था. जिसके लिए मैंने आपसे कई बार चर्चा की और धन राशि आवंटन के लिए अनुरोध किया. लेकिन योजना के कार्यान्वयन के लिए राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. राज्य के 8 लाख लोगों को कल्याण से वंचित करना ठीक नहीं है. इससे राज्य की लगभग 10 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था उत्पन्न होती है.” दरअसल वर्तमान सरकार के कार्यकाल में एक भी घर का निर्माण नहीं हो सका है.
पंचायतों में कई विकास कार्य प्रारंभ नहीं हुए
सिंहदेव ने लिखा है कि “मंत्री की स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव की समिति द्वारा अंतिम निर्णय लेने के लिए एक प्रक्रिया की गई, जो प्रोटोकॉल के विपरीत है. मैंने समय-समय पर लिखित में आपत्ति दर्ज की है, लेकिन इस प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ. जिसके परिणामस्वरूप 500 करोड़ से अधिक का विकास कार्य नहीं हो सका. वर्तमान में पंचायतों में कई विकास कार्य प्रारंभ नहीं हुए हैं.