जान जोखिम में डालकर नदी नालो को पारकर पहुंच रहे है उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के इस जलप्रपात तक पर्यटक
शेख हसन खान मैनपुर – उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के बेहद दुर्गम और खतरनाक पहाड़ी जो जमीन सतह से लगभग 2500 फीट की ऊंचाई पर बसा है आमामोरा ओड़ इस पहाड़ी में बारिश के इन दिनों कलकल करती अनेक वाटरफाल की खुबसूरती खासकर पर्यटको और पर्यावरण प्रेमी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। झमाझम बारिश के बीच पर्यटक जान जोखिम में डालकर खतरनाक रास्ते खासकर हाथी प्रभावित क्षेत्रो से गुजर कर कई नदी नालो के ऊपर मोटरसायकल को उठाकर पार करवा कर घंटो पैदल चलने के बाद इस खुबसूरत नजारा को देखने पहुंच रहे है।
मैनपुर से लगभग 40 किमी दूर आमामोरा की पहाड़ी में ‘‘कालीपगार‘‘ वाटरफाल के संबंध में बहुत कम लोग जानते है क्योकि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क ही नही है कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद यहां पहंुचा जाता है और मनमोहक दृश्य को देखकर पर्यटक सम्मोहित हो जाते है इस कालीपगार वाटरफाल की खासियत यह है कि यह बारिश के दिनो में ही यहां के खुबसूरत नजारे का आनंद लिया जा सकता है लगभग 100 फीट ऊॅंचाई से कलकल करते पानी की धार जब कई चट्टानो से टकराते हुए नीचे पत्थर पर गिरती है तो कई किलोमीटर तक पानी के पत्थर से टकराने के बाद सफेद धुंध ही दिखाई दे रही है। यदि इस वाटरफाल तक अस्थाई सड़क का निर्माण कर दिया जाये तो यह गरियाबंद जिले में एक प्रमुख वाटरफाल के रूप में जाना जायेगा और इसके खुबसूरती को हजारो लोग नजदीक से निहार सकेंगे।
मैनपुर से इस वाटरफाल को देखने पहुुंचे प्रकृति पे्रमी रजनीश रामटेके, पोखराज पटेल ने बताया मैनपुर से दबनई खोलापारा और खोलापारा से बेहद दुर्गम पहाड़ी रास्ता घाटी बड़े -बड़े चट्टो लगभग 6 से 7 नदी नालो जहां कमर तक इन दिनो पानी चल रहा है उसको पार कर अमलोर ओड़ आमामोरा होते हुए लगभग 40 किमी के बाद इस खुबसूरत कालीपगार वाटरफाल तक पहुंचा जा सकता है। प्रकृति प्रेमी रजनीश रामटेके ने बताया उन्होने कई वाटरफाल देखे है लेकिन आमामोरा पहाड़ी के ऊपर इस वाटरफाल जिसका नाम स्थानिय ग्रामीणो के बताए अनुसार कालीपगार की खुबसूरती के सामने अन्य वाटरफाल से काफी सुंदर है और इसके गिरने वाले पानी की धार और उसकी आवाज जिसको पानी का गरजन कहे काफी वेग है जो कई किलोमीटर दूर से अपनी उपस्थिति का अहसास कराता है।