एफडीआई के नियमों में भारी छूट देने और लोकल सोर्सिंग के नियमों में बदलाव करने पर कांग्रेस नेता ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “जहां एक ओर विदेशी कंपनियां भारत के बाजारों में अपना माल सीधा ऑनलाइन व्यापार के जरिए बेच सकेंगी, जिससे हमारे दुकानदार और व्यापारी बड़े ब्रांड्स और मल्टीनेशनल कंपनियों से पिछड़ जाएंगे, वहीं दूसरी ओर लोकल सोर्सिंग के नए नियमों से उनको सीधा नुकसान होगा।”
उन्होंने कहा, “सिंगल ब्रांड रिटेल में विदेशी कंपनियों को एफडीआई नियमों में भारी छूट देकर बीजेपी सरकार ने भारतीय दुकानदारों और व्यापारियों पर गहरा कुठाराघात किया है। इस गलत फैसले से जहां एक ओर लगभग तीन करोड़ दुकानदारों के व्यापार और आमदनी पर सीधी चोट पड़ेगी, वहीं दूसरी ओर उनके 15 करोड़ कर्मियों के रोजगार पर भी खतरे के बादल मंडराने लगेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “इस फैसले से देश में आने वाले विदेशी निवेश में भी कमी आने का खतरा है। एफडीआई नियमों में भारी छूट से साफ है मोदी सरकार केवल बड़ी विदेशी कंपनियों के हितों को साधने में लगी है और उसे देश के आम दुकानदारों और व्यापारियों से कोई सरोकार नहीं।”
‘सिंगल ब्रांड रिटेल’ का जिक्र करते हुए सुरजेवाला ने कहा, “मोदी सरकार ने विदेशी कंपनियों की मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी है, जिससे वो अब ‘सिंगल ब्रांड रिटेल’ में भारतीय बाजारों में अपना जमीनी आउटलेट खोलने से दो साल पहले ही ऑनलाइन बिक्री शुरू कर देंगे। जमीनी स्तर पर आउटलेट खोलने से भारतीय बाजारों में विदेशी धन आता और विदेशी कंपनियों से यहां पर आउटलेट खोलते तो भारतीय युवाओं के लिए नौकरियां पैदा होतीं और विदेशी निवेश में बढ़ोत्तरी होती। इससे देश के लोगों को फायदा होता।”
रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विदेशी कंपनियों के पक्ष में बदला 30 प्रतिशत लोकल सोर्सिंग का नियम। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी सरकार ने ‘सिंगल ब्रांड रिटेल’ में विदेशी कंपनियों के लिए 30 फीसदी लोकल सोर्सिंग के नियम में विदेशी कंपनियों के पक्ष में बदलाव करते हुए अब एक्सपोर्ट के लिए खरीद को भी लोकल सोर्सिंग में शामिल कर दिया है। इसका मतलब है कि अब यह जरूरी नहीं होगा कि जो सामान आप भारत में बेच रहे हों, वह यहीं से खरीदा जाए। अब के बाद विदेशी कंपनियां भारत के सिर्फ 30 प्रतिशत माल को खरीद कर यदि निर्यात कर देंगी, तो वो भारत में 100 प्रतिशत आयातित माल बेच सकेंगी।
सुरजेवाला ने कहा, “हैरानी की बात यह है कि मोदी सरकार ने इस फैसले के द्वारा लोकल सोर्सिंग को हर साल समीक्षा करने की बजाए 5 साल बाद करने की व्यवस्था कर दी है। सिंगल-ब्रांड रिटेलर वैश्विक कामकाज के लिए भारत से जो माल खरीदेंगे, उसे वो भारत में अपने पहले स्टोर की शुरुआत की साल की पहली अप्रैल से लेकर 5 सालों के दौरान भारत से 30 प्रतिशत लोकल सोर्सिंग की शर्त पूरी करने में इस्तेमाल कर सकते हैं, यानि 7 साल तक तो उनसे कोई पूछने वाला भी नहीं होगा, क्योंकि 2 साल तक स्टोर खोलने और उसके बाद 5 साल तक उन पर किसी समीक्षा की व्यवस्था नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “पहले लागू 30 प्रतिशत लोकल सोर्सिंग के नियमों से भारत के छोटे, मंझोले उद्योगों, ग्रामीण उद्योगों और कारीगरों के हितों की सुरक्षा होती थी। इसके चलते विदेशी कंपनियां इनको अपने व्यापार और उत्पादन में हिस्सेदार बनाती थीं, तभी वो कंपनियां भारतीय बाजारों में अपना सामान सप्लाई कर सकती थीं। भारत में पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक छोटे और मंझोले उपक्रम हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था और रोजगार के रीढ़ हैं।”
उन्होंने कहा, “देश में 3 करोड़ मंझोले उद्योगों में 15 करोड़ से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इन सभी के ऊपर बीजेपी सरकार ने चोट मारी है। उन्होंने आगे कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ और एसएमई क्षेत्र के लिए बड़े खतरे की घंटी है। उन्होंने आगे कहा कि विदेशी निवेश को उन्हीं क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे देश में ज्यादा पूंजीनिवेश, रोजगार और नवीनतम तकनीक आ सके, लेकिन इस नए फैसले से इन तीनों ही क्षेत्रों में जहां लाभ नहीं होगा, वहीं ‘मेक इन इंडिया’ विफल होगा और छोटे औरमंझोले उपक्रमों में रोजगार कम होगा।