मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में पुरखों के सपनों को साकार करने के लिए तेजी से फैसले लिए जा रहे हैं। जनता की नब्ज को पहचानते हुए मुख्यमंत्री ने हाल के 6-7 माह में प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कई निर्णय लिए हैं। औद्योगिक वातावरण को बदलने के लिए खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर कृषि आधारित नए उद्योगों की स्थापना के लिए पहल की जा रही है, इससे जहां स्थानीय स्तर पर नए रोजगार के अवसरों का सृजन होगा वहीं किसानों और वनाचलों में वनोपज का संग्रहण करने वाले परिवारों की आमदनी में वृद्धि होगी। नई सरकार के गठन और उनके द्वारा लिए जा रहे नए फैसलों और कदमों से नई उम्मीदें जागी है। किसान हितैषी फैसलों से प्रदेश में विकास, विश्वास और उत्साह का नया वातावरण बना है। लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने के साथ ही उनका मान-सम्मान भी बढ़ा है।
मुख्यमंत्री के किसान पुत्र होने और अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिले प्रशासनिक अनुभव का लाभ प्रदेश में विभिन्न विभागों के संचालन और नीति निर्धारण में मिल रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा में लोगों को सम्बोधित करना उनकी खासियत है। उनकी भाषा में छत्तीसगढ़ की मिठास और अपनी माटी की सौंधी महक मिलती है। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने किसानों के मुद्दों पर हमेशा पैनी नजर रखी। अपने कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ के पुरखों को आदर और सम्मान देना नहीं भूलते। आधुनिक ज्ञान विज्ञान में उनकी गहरी रूचि है। वे नदी-नालों के पुनर्जीवन के लिए आधुनिक तकनीक पर विशेष बल देते हैं। श्री बघेल विद्यार्थियों को हमेशा वैज्ञानिक सोच और आधुनिक तकनीकों के उपोग के प्रति सजग रहने की समझाईश देते हैं । उनका मानना है कि हमारे देश ने आचार्य चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट और नागार्जुन जैसे महान वैज्ञानिक दिए लेकिन उन्नीसवीं सदी तक हम ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ गए। इसका मुख्य कारण हमने सवाल पूछना बंद कर दिया है। उनका मानना है कि आज की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए हमें शोध पर ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री श्री बघेल नें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ग्राम और ग्रामीणों के विकास की अवधारणा के अनुरूप ग्रामीण जनजीवन को खुशहाल बनाने के लिए छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरवा घुरवा बाड़ी को आधार बनाकर सुराजी गांव योजना शुरू की है। छत्तीसगढ़ की सतरंगी संस्कृति पर आम जनता को स्वाभिमान और गर्व की अनुभूति जगाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा हरेली, तीज , छठ, मां कर्मा जयंती और विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश की घोषणा से लोगों में उत्साह का वातावरण है। ग्रामीण जनजीवन पर इसका खासा असर दिख रहा है। हाल में ही एक अगस्त को नए स्वरूप में हरेली तिहार मनाया गया। जिसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति की बानगी देखते बनती थी। लोगों में ऐसा स्वस्फूर्त उत्साह पहली बार दिखा। इस उत्साह मेें मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के सभी मंत्री शामिल हुए।
गांवों के लोगों को रोजगार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ के गांवों में पौनी पसारी योजना से गांवों में परम्परागत रूप से लोहार, धोबी, और नाई आदि का काम करने वाले लोगों के लिए नगरीय क्षेत्रों में बाजार का निर्माण करने से इन परम्परागत रूप से काम करने वालों को सीधा फायदा होगा। जन चौपाल-भेंट मुलाकात के जरिए आम जनता से नजदीकी बनाए रखने की कोशिश की जा रही है इन मुलाकातों में लोगों से फीड बेक लेने के साथ ही उनकी समस्याओं और तकलीफें भी सुनी जा रही हैं।
प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को गति देने के लिए किसानों को धान का प्रति क्विंटल ढाई हजार रूपए और अल्प कालीन कृषि ऋण मुक्ति का ऐतिहासिक फैसला लिया है, इससे जहां उद्योग और व्यापार जगत में तेजी आयी है। आटोमोबाइल सेक्टर में जहां मंदी का माहौल है वहीं छत्तीसगढ़ में 26 प्रतिशत की उछाल देखा गया है। मध्यम और कमजोर वर्ग को राहत देने के लिए भूमि की गाइड लाइन दरों में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। साथ ही 5 डिस्मिल से छोटे भू-खंडों की रजिस्ट्री पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है। शासन से अुनमोदित रियल ईस्टेट के प्रोजेक्ट पर मकान की रजिस्ट्री दर 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है। नामांतरण और डायवर्सन प्रकरणें को लोक सेवा गारंटी योजना में शामिल कर समय सीमा में निराकरण करने से शहरों में मकान और भूखंड खरीदना आसान हो गया है। अब किसी भी आवासीय प्रोजेक्ट के लिए जरुरी सभी तरह की एनओसी लेने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने का फैसला लिया गया है।
मुख्यमंत्री का मानना है कि किसानों की उन्नति के लिए खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर हमें कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना करनी चाहिए जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें, जिससे यहां उत्पादित कृषि उपज और वनोपज का बेहतर मूल्य यहां के निवासियों को मिल सके। उन्होंने नई उद्योग नीति में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को विशेष प्राथमिकता देने की भी घोषणा की है। वनांचल में रहने वाले लोगों की दिक्कत को समझते हुए उन्होंने वन अधिकार कानून के तहत प्राप्त आवेदनों की पुनः समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार वन क्षेत्रों में चिकित्सा और कुपोषण संबंधी दिक्कतों को दूर करने के लिए वनांचल के हाट बाजारों में चलित चिकित्सा इकाईयों के द्वारा इलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है। वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती और शिशुवती माताओं और बच्चों को सुपोषण अभियान के तहत पका हुआ गरमा-गरम भोजन देने की योजना भी प्रारंभ की गई है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल नें ग्रामीण जनजीवन को खुशहाल बनाने के लिए सुराजी गांव योजना में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गांवों में नदी नालों के पुनर्जीवन के लिए छोटे-छोटे जल संचयन के संरचनाएं बनाने पर जोर दिया है। योजना के प्रथम चरण में लगभग दो हजार गांवों में माडल गौठानों का निर्माण किया जा रहा है। इन गौठानों में पशुओें के लिए डे-केयर की व्यवस्था होगी। यहां पशुओं के लिए चारागाह विकसित किए जा रहे हैं। यहां बायोगैस संयंत्र और दुग्ध उत्पादन तथा पशु नस्ल सुधार जैसे कार्य किए जाएंगे। किसानों के घरों में घुरवा को स्मार्ट घुरवा बनाने के लिए भी कार्य प्रारंभ किया गया है, इससे जैविक खाद का उत्पादन वहीं जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। जैविक खाद से जहां खेती में रसायनिक खाद की कमी आएगी। वहीं कृषि लागत से कमी आएगी। किसानों की बाड़ी में जैविक सब्जी को प्रोत्साहन देने से ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण स्तर बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा लगातार जनता की बेहतरी के लिए निर्णय लिए जा रहे हैं। स्कूल, कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती, बस्तर के लोहाण्डीगुड़ा में उद्योग के लिए अधिगृहित भूमि किसानों को वापस करने, तेंदूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ाकर चार हजार करने, 400 यूनिट तक बिजली बिल हाफ करने, दिव्यांगजनों के विवाह हेतु दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर एक लाख रूपए करने, एनएमडीसी के नगरनार प्लांट में ग्रुप डी और सी की भर्ती परीक्षा दंतेवाड़ा में कराने के ऐतिहासिक फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक विकेन्द्रीयकरण की दृष्टि से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के नाम से नये जिले तथा 25 नई तहसीलों के गठन की घोषणा की है। इसी तरह अनुसूचित जातियों का आरक्षण 13 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 27 प्रतिशत करने की घोषणा की है। बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरण के साथ मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के गठन की घोषणा के साथ ही इन प्राधिकरणों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष स्थानीय विधायकों को बनाया गया है। जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया का सरलीकरण करते हुए पिता के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बच्चे के जन्म के साथ ही बच्चे को जाति प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने अपने फैसलों से ’गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाये हैं। पुरखों के सपनों के अनुरूप एक ऐसे छत्तीसगढ़ के निर्माण का सपना साकार होगा, जहां समाज के सभी वर्ग सशक्त और खुशहाल होंगे और हमारी कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।