लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha elections 2019) के चुनाव प्रचार में जुटीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी शीला दीक्षित के लिए रोड शो किया. प्रियंका ने इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह अपनी विफलताओं के लिए नेहरू-गांधी परिवार को दोषी ठहराते हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम मोदी की तुलना ऐसा स्कूली छात्र से की जो अपना होमवर्क करने में विफल रहे हैं और उनके बहाने होते हैं कि पंडित नेहरू ने उनकी उत्तर-पुस्तिका ले ली है और इंदिरा गांधी ने उसकी नाव बना दी.
उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार, शीला दीक्षित के समर्थन में रोड शो करते हुए, प्रियंका गांधी ने कहा, ”उनकी (मोदी की) स्थिति एक ऐसे स्कूली बच्चे की तरह है जो कभी भी अपने होमवर्क नहीं करते हैं. जब शिक्षक उनसे होमवर्क के बारे में पूछते हैं, तो वह कहते हैं कि नेहरू जी मेरे पेपर ले गये और उन्होंने उसे छुपा दिया या फिर कहते हैं कि इंदिरा गांधी ने उसका नाव बना दिया और उसे पानी में डूबो दिया.”
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से चुनाव के बाकी दो चरण नोटबंदी, जीएसटी, महिला सुरक्षा और देश की जनता से किये गये वादे पर लड़ने की चुनौती दी. प्रियंका ने लोगों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि उनका जन्म दिल्ली में हुआ है और दावा किया कि वह यहां के लोगों की आकांक्षाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बेहतर जानती हैं जो यहां केवल पांच वर्षों से हैं.
प्रियंका गांधी और दीक्षित ने यह रोडशो अल्पसंख्यक बहुल इलाके सीलमपुर से एक मिनीबस की छत पर सवार होकर शुरू किया. उन्होंने कहा, ‘मैं आपका अपमान नहीं कर सकती. हम बीेजेपी की तरह अभिमानी नहीं हैं. आपको पता है कि आज हम जो भी हैं वह आपकी वजह से हैं.’
‘हमने हर गलियां देखी हैं’
प्रियंका ने कहा,’मोदी जी दिल्ली में पांच वर्षों से हैं. मेरा जन्म महानगर में हुआ था. हमने हर गलियां देखी हैं. मैं आपको (मोदी) बताऊंगी कि दिल्ली के लोग क्या सोचते हैं. वे आपकी बकवास से थक चुके हैं. आप रेस कोर्स रोड आवास तक सीमित रहे.’
सात रेस कोर्स रोड प्रधानमंत्री का सरकारी आवास है. इसका का नाम 2016 में बदलकर लोक कल्याण मार्ग में कर दिया गया था. जीएसटी मुद्दे को उठाते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि नयी कर व्यवस्था ने व्यवसायियों की कमर तोड़ दी. लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या उन्हें नौकरियां मिलीं तो जवाब नहीं में मिला.