लोकसभा चुनाव के खत्म होते ही हाऊसिंग की योजनाओं में राजस्व वसूली के लिए पॉलिसी बदली जाएगी। करोड़ों रुपये के बकाया शेष रहने के कारण सरकार पुरानी योजनाओं में नए सिरे से काम करेगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि संबंधित अधिकारियों को इसके लिए टारगेट भी दिया जाएगा। हाऊसिंग की योजनाओं में बड़ी लागत से निर्माण हुए हैं लेकिन राजस्व जुटाने के मामले में अफसर काफी पिछड़ गए हैं। हाऊसिंग की योजनाओं में ही भू-भाटक खर्च का बड़ा हिस्सा जाम हो गया है। आरडीए और हाऊसिंग बोर्ड में वित्तीय संकट की स्थिति बनी हुई है। दरअसल हाऊसिंग बोर्ड में आठ साल रजिस्ट्री के नियम से बेचे गए प्लाट के पैसे ही नहीं वसूल हो पाए हैं। विभाग ने नियम तो बदला है लेकिन जिनके नाम पर रजिस्ट्री कराई वहां पर निर्माण लागत की राशियां जाम है। रायपुर विकास प्राधिकरण ने भी लीज में करोड़ों रुपये की प्रापर्टी व्यवसायिक आयोजनों के लिए दे रखी है लेकिन उसका भी समय पर भुगतान नहीं हुआ है। भू-भाटक राशि के रूप में ही पिछले साल 20 करोड़ रुपये बकाया होने की जानकारी है। हालांकि अधिकारियों का कहना है रिकवरी एजेंट रखने के बाद स्थिति सुधरी है। हालांकि समय पर लक्ष्य पूरा नहीं कर सके।