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होलिका दहन का शुभ मुहूर्त,पूजा विधि और मंत्र

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रायपुर – हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च 2025, गुरुवार को होगा। विभिन्न स्थानों पर होलिका पूजन सुबह और शाम दोनों समय किया जाता है, लेकिन इस बार भद्रा योग के कारण होलिका दहन के शुभ समय को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, होलिका दहन का सही समय इस प्रकार रहेगा:

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे

भद्रा करण: सुबह 10:35 से रात 11:26 तक

होलिका दहन का समय: 13 मार्च 2025, रात 11:26 से 12:18 तक

होलिका पूजन के शुभ मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:07 से 12:55 तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:18 तक

गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:26 से 6:50 तक

निशिता मुहूर्त: रात 12:06 से 12:54 तक

रंग वाली होली कब होगी?

रंगों का त्योहार होली 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। फाल्गुनी पूर्णिमा दोपहर 12:23 तक रहेगी, जिसके बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ होगी। 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग खेला जाएगा।

होलिका पूजन सामग्री

होलिका पूजन के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं –

कच्चा सूती धागा

नारियल

गुलाल

अक्षत

रोली

फूल

गाय के गोबर के उपले

बताशा

गन्ना

हवन सामग्री

काले तिल

धूप

होलिका पूजन विधि

होलिका दहन से पहले विधिवत पूजा की जाती है।

जल, फूल, अक्षत, माला, सिंदूर आदि अर्पित किए जाते हैं।

देसी घी का भोग अर्पित किया जाता है।

कच्चे सूती धागे से तीन या सात बार होलिका की परिक्रमा कर धागा बांधा जाता है।

होलिका दहन के समय गोबर के उपले, गुलाल, नारियल, गेहूं की बाली एवं अन्य सामग्री अर्पित की जाती है।

गन्ने को सेंककर एवं गेहूं की बाली को प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

अगले दिन होलिका दहन की राख को घर लाना शुभ माना जाता है। इसे पूजा स्थल या धन रखने के स्थान पर रखा जाता है।

होलिका दहन के समय जाप करने योग्य मंत्र

“अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशैः।अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।”

महत्व

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह परंपरा प्रह्लाद और होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ी है, जहां भक्त प्रह्लाद की भक्ति के कारण भगवान विष्णु ने उसे सुरक्षित रखा और होलिका अग्नि में जलकर नष्ट हो गई।