महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एक आदिवासी दंपती को अपने बेटों की लाश कंधे पर रखकर 15 किलोमीटर पैदल चलना अस्पताल से वापस घर आना पड़ा। इससे पहले वे बीमार बच्चों को कंधे पर लेकर इलाज के लिए अस्पताल भी पहुंचे थे। बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिला और उनकी मौत हो गई।
गढ़चिरौली – महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से एक ऐसी खबर सामने आई है जो रुला देने वाली है। अहेरी तालुका के एक युवा दंपती को अपने बेटों की लाश कंधे पर रखकर कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। आदिवासी इलाके के रहने वाले इस दंपती के बेटों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाया। बेटों को कंधे पर लादकर वे 15 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचे। बेटों की मौत हो चुकी थी। अस्पताल ने वापस कर दिया और एंबुलेंस भी नहीं दी। दुखी माता-पिता बच्चों की लाशें फिर कंधों पर लादकर वैसे ही पैदल दलदल भरे रास्तों से होते हुए गांव पहुंचे। बेटों की लाशों के साथ माता-पिता एक ही दिन में 30 किमी चले तो उनका दर्द और बढ़ गया।
दंपती ने बताया कि उनके बेटों बाजीराव रमेश वेलादी (6) और दिनेश रमेश वेलादी (3) को कई दिनों से बुखार आ रहा था। लड़कों के बीमार पड़ने से ठीक दो दिन पहले परिवार अपने रिश्तेदार के गांव पट्टीगांव गया था।
एक के बाद एक दोनों की हुई मौत
बाजीराव को 4 सितंबर को बुखार आया। दपंती बेटों को लेकर एक स्थानीय वैध के पास गए। उसने जड़ी-बूटियों के उपचार किए। दुर्भाग्य से, दोनों बच्चों की हालत बिगड़ गई। वैध ने उन्हें मृत बता दिया। पट्टीगांव को जीमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र से जोड़ने वाली कोई सड़क नहीं है। इस वजह से यहां कोई वाहन नहीं आता। एंबुलेंस तक गांव में नहीं पहुंच पाती है।
अस्पताल पहुंचने से पहले हुई मौत
दंपती बीमार बेटों को कंधे पर लादकर किसी तरह स्वास्थ्य केंद्र ले गया। यहां डॉक्टर ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। जीमलगट्टा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने पर चिकित्सा अधिकारियों ने पुष्टि की कि दोनों बच्चों की पहले ही मौत हो चुकी थी। यहां से दंपती को अपने बेटों के शवों को वापस पट्टीगांव ले जाने के लिए फिर उन्हें कंधे पर लादकर ले जाना पड़ा।
अस्पताल प्रशासन ने दी सफाई
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रताप शिंदे ने मौतों की पुष्टि करते हुए कहा, ‘दोनों भाइयों की मौत की जानकारी सही है। मौत का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि लड़कों को स्वास्थ्य केंद्र लाने से पहले एक वैध के पास ले जाया गया था। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी। हालांकि हमने एम्बुलेंस सहायता की पेशकश की, लेकिन माता-पिता ने मना कर दिया। घटना की पूरी जांच की जाएगी और एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।’
रातभर लाश के साथ बैठा दपंती
दंपती ने बताया कि बेटे को मृत घोषित कर दिया गया और उन्हें लाश ले जाने को कहा गया। उन्हें अस्पताल से कोई एंबुलेंस नहीं मिली। प्राइवेट एंबुलेंस करके घर जाने को रुपये नहीं थे। गांव में कोई सड़क नहीं होने से वहां तक एंबुलेंस वैसे भी नहीं पहुंच पाती है। इसलिए उन्होंने बेटे की लाश को कंधे पर रखकर चलना शुरू कर दिया और 15 किलोमीटर दूर अपने घर पहुंचे। घर पहुंचने में रात हो गई तो बेटे का दाह संस्कार भी अगले दिन किया। रातभर थका जोड़ा अपने बेटे की लाश के पास बैठा रोता रहा।
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने इस कपल का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है। यह वीडियो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। लोग इसे खूब शेयर कर रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि सफेद कपड़े में लिपटी इस लाश को दंपती अपने कंधों पर लादकर चल रहा है। इस दौरान जंगली रास्ते में दलदल, कीचड़ और पथलीरे रास्तों से वे गुजरते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस ने साधा निशाना
वडेट्टीवार ने त्रासदी का एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, ‘दोनों बच्चे बुखार से पीड़ित थे, लेकिन उन्हें समय पर इलाज नहीं मिला। कुछ ही घंटों में उनकी हालत बिगड़ गई और अगले एक घंटे में दोनों लड़कों ने दम तोड़ दिया।’ उन्होंने आगे कहा ‘दोनों नाबालिगों के शवों को उनके गांव, पट्टीगांव तक ले जाने के लिए कोई एम्बुलेंस नहीं थी और माता-पिता को बारिश में कीचड़ भरे रास्ते से 15 किमी पैदल चलने के लिए मजबूर होना पड़ा। गढ़चिरौली की स्वास्थ्य व्यवस्था की एक गंभीर हकीकत आज फिर सामने आ गई है।’
फडणवीस और महाराष्ट्र के मंत्री धर्मराव बाबा अत्राम पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता ने कहा कि कैसे महायुति सहयोगी, भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस गढ़चिरौली के संरक्षक मंत्री हैं, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के धर्मराव बाबा अत्राम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार में एफडीए मंत्री हैं। वडेट्टीवार ने कहा, ‘दोनों यह दावा करते हैं कि पूरे महाराष्ट्र में हर दिन कार्यक्रम आयोजित करके राज्य कैसे विकसित हो सकता है, इस पर बात हो रही है। उन्हें जमीन पर उतर कर देखना चाहिए कि गढ़चिरौली में लोग कैसे रहते हैं और वहां मरने वालों की संख्या क्या है।’
गर्भवती और उसके बच्चे की भी हुई थी मौत
इसी हफ्ते 1 सितंबर को भी स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा इसी तरह का मामला सामने आया था। एक गर्भवती आदिवासी महिला ने अपने घर पर एक मृत बच्चे को जन्म दिया और फिर खुद ही दम तोड़ दिया, क्योंकि एक स्थानीय अस्पताल उसे समय पर इलाज के लिए अपने यहां लाने के लिए एम्बुलेंस भेजने में विफल रहा।NBT