इंदौर – चार जून मध्यप्रदेश के इंदौर में ‘नोटा’ ने बिहार के गोपालगंज का पिछला कीर्तिमान ध्वस्त करते हुए 2,18,674 वोट हासिल किए और 14 में से 13 उम्मीदवारों को पटखनी देकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया।
इंदौर, मतदाताओं की तादाद के लिहाज से सूबे में सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है जहां मुख्य चुनावी भिड़ंत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच होती रही है, लेकिन इस बार सियासी समीकरण एकदम बदले हुए थे।
कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस लेकर तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे। नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गई। इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से अपील की कि वे ईवीएम पर ‘नोटा’ का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाएं।
इंदौर में 13 मई को हुए मतदान में कुल 25.27 लाख मतदाताओं में से 61.75 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला था और इनमें से 13,43,294 मत वैध पाए गए। यानी कुल वैध मतों का 16.28 फीसद हिस्सा ‘नोटा’ के खाते में गया।
इंदौर में निवर्तमान सांसद और भाजपा के उम्मीदवार शंकर लालवानी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी संजय सोलंकी को 11,75,092 वोट के रिकॉर्ड अंतर से हराया।
इंदौर लोकसभा क्षेत्र पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है। इस बार इंदौर में कुल 14 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई जिनमें से 13 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवा दी। ‘नोटा’ ने इन सभी 13 उम्मीदवारों को मात दे दी और वोट हासिल करने के मामले में लालवानी के बाद दूसरे क्रम पर रहा।
इन 13 पराजित उम्मीदवारों को कुल 1,16,543 वोट मिले और इस जोड़ का यह आंकड़ा भी ‘नोटा’ को हासिल मतों से कम है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इंदौर में लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था और 5,045 मतदाताओं ने ‘‘नोटा’’ का विकल्प चुना था। पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 5,20,815 वोट मिले थे जो कुल वैध मतों का 32 फीसद था।
लालवानी ने ‘‘पीटीआई-’’ से कहा,‘‘पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार (संघवी) को जितने वोट मिले थे, इस बार उसके आधे वोट भी कांग्रेस के समर्थन वाले नोटा को नहीं मिल सके। यह दर्शाता है कि इंदौर की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है।’’