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तभी लिखी गई थी बिहार में पलटी मारने की दोहरी स्क्रिप्ट, भ्रम में कौन? फ्रंट फुट पर खेल रहे नीतीश

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पिछले कुछ माह से इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार की सक्रियता कम हो रही थी। गठबंधन के मुख्य एजेंडे और सीट शेयरिंग को लेकर नीतीश चुप ही रहे थे। ममता बनर्जी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हम अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी कह दिया कि आम आदमी पार्टी भी अकेले ही मैदान में उतरेगी। नीतीश कुमार यहां पर भी चुप रहे।

पटना – लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में जो उथल पुथल मची है, उसने देश की सियायत में भी हलचल बढ़ा दी है। खासतौर से, इंडिया गठबंधन पर इसका ज्यादा असर देखा जा रहा है। पिछले वर्ष विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में अहम भूमिका अदा करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही चर्चा के केंद्र में हैं। उन पर, ‘पलटी’ मारने की तैयारी करने जैसे आरोप लग रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है, बिहार का घटनाक्रम नई बात नहीं है। इस मामले की दोहरी स्क्रिप्ट तो पिछले साल ही लिखी जा चुकी थी। दोहरी का मतलब, एक तरफ नीतीश कुमार के प्रति भाजपा का सॉफ्ट कॉर्नर तो दूसरी ओर नीतीश का इंडिया गठबंधन में अपनी सक्रियता घटा देना। इन सबके बावजूद, बिहार की पॉलिटिक्स में ‘भ्रम’ और ‘फ्रंट फुट’ का खेल बाकी है।

जानकारों का कहना है कि ये दोनों शब्द, नीतीश कुमार और लालू यादव के लिए हैं। जेडीयू के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार तो सदैव ‘फ्रंट फुट’ पर खेलते आए हैं। राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं का कहना है कि लालू प्रसाद यादव ‘भ्रम’ में नहीं रहते हैं। बिहार की सियासत में कुछ भी संभव है।

पिछले कुछ माह से इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार की सक्रियता कम हो रही थी। गठबंधन के मुख्य एजेंडे और सीट शेयरिंग को लेकर नीतीश चुप ही रहे थे। ममता बनर्जी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हम अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी कह दिया कि आम आदमी पार्टी भी अकेले ही मैदान में उतरेगी। नीतीश कुमार यहां पर भी चुप रहे।

गत दिनों इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक में एमके स्टालिन ने संयोजक पद के लिए बिहार के सीएम और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार का नाम सुझाया था। इसके बाद यह चर्चा आगे बढ़ती कि नीतीश कुमार ने खुद ही अपना नाम पीछे हटा लिया। नीतीश कुमार ने कहा, वे चाहते हैं कि गठबंधन मजबूती के साथ आगे बढ़े। सभी सहयोगी दलों में एकजुटता रहे। सीट शेयरिंग का सर्वमान्य फार्मूला अपनाया जाए। इसके बाद वर्चुअल मीटिंग में मौजूद दलों ने सर्वसम्मति ने मल्लिकार्जुन खरगे को अध्यक्ष पद सौंप दिया।

राजनीतिक जानकारों ने इसे नीतीश कुमार की तरफ से लिखी गई स्क्रिप्ट करार दिया था। उसके बाद से ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि देर सवेर, नीतीश कुमार एनडीए में वापसी कर सकते हैं।

इस मामले में एक दूसरी स्क्रिप्ट, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लिखी नजर आई। जनवरी के पहले सप्ताह में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सूत्रों ने कहा था, बिहार में नीतीश कुमार को एनडीए में लाने के लिए भाजपा कोई भी पहल नहीं कर रही है। भाजपा, आगे भी ऐसा प्रयास नहीं करेगी। अगर कोई खुद से और बिना शर्त पार्टी में शामिल होने की इच्छा जाहिर करता है तो उस पर विचार किया जाएगा।

इससे पहले कहा गया था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। वह अलग बात है कि बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम एवं राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने अब कहा है, अगर नीतीश कुमार या जेडीयू का सवाल है तो राजनीति में किसी के लिए कोई दरवाजा हमेशा बंद नहीं करना है। जो दरवाजा बंद रहता है, वो खुल भी सकता है। उन्होंने राजनीति को संभावनाओं का खेल बताया है।

जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी कह दिया, नीतीश कभी भी भ्रम में नहीं रहते हैं। वे फ्रंट फुट पर राजनीति करते हैं। अगर कोई भ्रमित है, तो यह उनकी समस्या है। उनका इशारा, राष्ट्रीय जनता दल में लालू यादव को लेकर था। नीतीश के पलटी मारने की स्थिति में लालू यादव अपना नंबर गेम सुरक्षित करने में जुटे हैं। वे थोड़े आश्वस्त इसलिए हैं कि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल से आते हैं। उन्हें बहुत सोच समझकर ही विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया था। अब विधानसभा में कोई जोड़ तोड़ होती है तो उस स्थिति में स्पीकर का पद अहम रहता है। अगर नीतीश कुमार एनडीए में लौटते हैं तो उस स्थिति में राष्ट्रीय जनता दल, विधानसभा के भीतर और बाहर, दोनों के लिए रणनीति कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की तो उसका श्रेय राजद नेताओं ने लेने में देरी नहीं की।

राजद नेताओं ने दावा किया कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की उनकी मांग दशकों पुरानी रही है। बिहार में हुई जाति आधारित गणना के बाद ही केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। इसके पीछे राजद का दबाव रहा है।  अगर भाजपा, सही मायने में पिछड़े वर्गों की हितैषी है तो अब बिहार में जाति आधारित गणना के बाद बढ़ाए गए आरक्षण के दायरे को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद मनोज झा ने कह दिया है, अब हमारी मांग है कि केंद्र सरकार, बिहार में आरक्षण के बढ़े हुए दायरे को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करे। कर्पूरी ठाकुर के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अन्यथा उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा सांकेतिक लगेगी।

बिहार को लेकर राष्ट्रीय सियासत में ऐसी चर्चा भी है कि अब नीतीश कुमार को पलटी मारने के बदले क्या मिलेगा। भाजपा में उनके लिए प्रधानमंत्री का पद, नामुमकिन जैसा है। इंडिया गठबंधन में ऐसी संभावनाएं बन सकती थीं। मौजूदा समय में राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म हो रहा है, ऐसा भी कुछ नहीं है। यह बात भी कही जा रही है कि राजद के साथ गठबंधन में अगर नीतीश कुमार चुनाव लड़ते हैं तो वह उनके लिए नुकसानदायक होगा।