नई दिल्ली – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी पर जोरदार हमला किया है. उन्होंने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दल की एकता पर कहा, मैंने खबरों में पढ़ा की कांग्रेस कह रही है कि हम केजरीवाल को सपोर्ट नहीं करेंगे.
केजरीवाल ऐसा है, केजरीवाल वैसा है. ये मुद्दा केजरीवाल का नहीं है, मैं इंपोर्टटेंट नहीं हूं. ये मुद्दा देश की जनतंत्र का है, दिल्ली की जनता का जो अपमान हुआ है, संविधान का है. मेरी उनसे विनती है, केजरीवाल को छोड़ दीजिए. मोदी सरकार ने जो दिल्ली की जनता के साथ धोखा किया है, उनकी सारी शक्ति छीन ली. दिल्ली के लोगों का अधिकार छीन लिया. उन्होंने कांग्रेस से कहा, यह मुद्दो किसी एक का नहीं है, बल्कि देश का है.
Congress को तय करना है कि वो Modi के साथ खड़ी है या देश की जनता के साथ
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, कांग्रेस को यह तय करना है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होना है या देश की जनता के साथ खड़ा होना है.
अध्यादेश मामले में केजरीवाल ने CPI-M से मांगा समर्थन
दिल्ली की सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, मैं आज CPI-M नेता सीताराम येचुरी से समर्थन मांगने आया और उन्होंने दिल्ली के लोगों के साथ खड़े होने का और हमें समर्थन देने का निर्णय किया है
माकपा ने ‘आप’ का समर्थन करने की घोषणा की
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश की निंदा की और संसद में इसका विरोध करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन करने की घोषणा की. उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से भी इस मामले पर ‘आप’ का समर्थन करने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर अध्यादेश की घोषणा संविधान का घोर उल्लंघन है और यह किसी भी उस राज्य में हो सकता है जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार नहीं है.
क्या है मामला
केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए हाल ही में एक अध्यादेश जारी किया था. यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित मामलों को छोड़कर अन्य मामलों का नियंत्रण सौंपने के बाद लाया गया है. अध्यादेश की घोषणा के छह महीने के भीतर केंद्र को इसकी जगह संसद में एक विधेयक पेश करना होगा.