नईदिल्ली – अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर ‘रिश्वतखोरी’ के आरोप के बीच लोकसाभ में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रेस से बात की। प्रेस से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने एक नारा दिया, ‘एक हैं तो सेफ हैं’। ‘भारत में अडानी और मोदी एक हैं तो सेफ हैं’। हिंदुस्तान में अडानी जी का कुछ नहीं किया जा सकता है। देश में मुख्यमंत्री 10-15 करोड़ रुपये के लिए जेल चले जाते हैं। अडानी जी 2 हजार करोड़ रुपये का स्कैम करते हैं और वो बाहर घूम रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि अमेरिका में अडानी पावर, मोदी पावर न जाने क्या-क्या चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि दोनों एक हैं। अडानी जी ने भारत-अमेरिका में क्राइम किया है। अमेरिका में जो जांच हुई है, उसमे यह बात सामने आई है। लेकिन हिंदुस्तान में अडानी जी के खिलाफ कुछ नहीं हो रहा है। अडानी को अरेस्ट किया जाना चाहिए और अभी अरेस्ट किया जाना चाहिए, यह मांग हम बहुत दिनों से कर रहे हैं। मधावी बुच जो उन्हें (अडानी) सुरक्षा प्रदान करने वाली हैं, जिन्होंने कोई जांच नहीं की। उनको हटाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मोदी जी कहते हैं कि जो भी क्राइम करेगा उसकी जगह जेल में होगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर अडानी जी जेल में क्यों नहीं हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हम अडानी को अरेस्ट करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमें पता है कि उन्हें अरेस्ट नहीं किया जाएगा, क्योंकि मोदी जी खुद अडानी के कंट्रोल में हैं।
अडानी पर आरोप क्या है?
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर अमेरिका में अपने निवेशकों को धोखा देने के आरोप लगे हैं। अडानी पर अमेरिका में अपनी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने के लिए 265 मिलियन डॉलर या करीब 2236 करोड़ रुपये की रिश्वत देने और इसे छिपाने का आरोप लगा है। यह पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा है।
अमेरिका में सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन इस मामले में गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारियों समेत एक अन्य फर्म एज्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के कार्यकारी सिरिल काबेनेस के खिलाफ भी आरोप लगाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर के साथ ही 7 अन्य प्रतिवादियों ने अपनी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट दिलाने और भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने पर सहमति जताई थी। अधिकारियों को ये रिश्वत 2020 से 2024 के बीच दिए जाने का आरोप लगाया गया है।