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गांधी और उनकी डिग्री के बारे में मनोज सिन्हा ने क्या कहा, सच क्या है?

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ग्वालियर – दक्षिण अफ़्रीका में क़ानून की प्रैक्टिस के दौरान की महात्मा गांधी की तस्वीर. तस्वीर में उनके साथ हैं एच एस एल पोलक जो उस वक्त उनके क्लर्क हुआ करते थे. साथ में बैठी रूसी महिला शेलेसिन हैं.

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को दावा किया कि महात्मा गांधी के पास क़ानून की डिग्री तो छोड़िए कोई भी यूनिवर्सिटी डिग्री नहीं थी.

उन्होंने कहा,”पढ़े-लिखे लोगों तक को भ्रांति है कि गांधी जी के पास क़ानून की डिग्री थी, लेकिन गांधी जी के पास कोई डिग्री ही नहीं थी.”

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल ग्वालियर की आईटीएम यूनिवर्सिटी में डॉ. राम मनोहर लोहिया व्याख्यान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे. यहां लोहिया पर एक क़िताब के विमोचन के बाद मनोज सिन्हा ने अपने भाषण की शुरुआत गांधी जी की प्रशंसा से की.

उन्होंने कहा, “गांधी ने बड़े-बड़े काम किए, ये अभी बताया गया है. मैं दोहराना नहीं चाहता हूं. देश को आज़ादी मिली. क्या-क्या किया. लेकिन सब कुछ जो हासिल हुआ उसके केंद्रबिंदु में एक ही बात थी- सत्य.”

“जीवन भर वो सत्य से बंधे रहे, सत्य के अधीन उन्होंने काम किया,आचरण किया. उनके जीवन के हर पहलू को जांचिए आप. इसके अलावा और कुछ नहीं था उनके जीवन में. जितनी चुनौतियां आईं, जितनी परीक्षाएं आईं. सत्य कभी नहीं त्यागा और महात्मा गांधी अंतर्ध्वनि पहचान लिए. परिणाम हुआ कि राष्ट्रपिता हो गए.”

गांधी को लेकर उप राज्यपाल का बयान

इस बारे में बात करते हुए मनोज सिन्हा ने महात्मा गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल किया.

उन्होंने कहा, “एक और चीज़ मैं आपसे कहना चाहता हूं. देश में अनेक लोगों और पढ़े-लिखे लोगों को भ्रांति है कि गांधी जी के पास लॉ की डिग्री थी. गांधी जी के पास कोई डिग्री नहीं थी. अभी मैं बताऊंगा. कुछ लोग मंच पर भी आकर प्रतिकार करेंगे. लेकिन मैं तथ्यों के साथ आगे बात करूंगा.”

उन्होंने कहा, “कौन कहेगा कि गांधी जी एजुकेटेड नहीं थे, शिक्षित नहीं थे. मुझे नहीं लगता कि किसी में साहस है कि ये बात कह सके. लेकिन क्या आप जानते हैं उनके पास एक भी यूनिवर्सिटी डिग्री या क्वालिफिकेशन नहीं थी.”

सिन्हा ने कहा, “हममें से कई लोग ये सोचते हैं कि उनके पास क़ानून की डिग्री थी. लेकिन उनके पास ये नहीं थी. उनकी एकमात्र योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा थी.”

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल ने कहा, “वो क़ानून की प्रैक्टिस के लिए क्वालिफ़ाई कर गए थे लेकिन उनके पास क़ानून की डिग्री नहीं थी, लेकिन देखें कि वो कितने शिक्षित थे कि राष्ट्रपिता बन गए. तो मैं ये आपको बताना चाहता हूं कि सिर्फ डिग्री की औपचारिकता तक ही न रहें या इसे ही शिक्षा न समझें.”

मनोज सिन्हा ने अपने भाषण में गांधी जी की डिग्रियों के बारे में कहा कि वो इस पर तथ्यों के साथ बात करेंगे. लेकिन उन्होंने ऐसा कोई तथ्य नहीं दिया, जिससे उनके दावों की पुष्टि हो.

लेकिन महात्मा गांधी की शिक्षा से जुड़े दस्तावेज़ सिन्हा के दावों के उलट तथ्य पेश करते हैं.

बीबीसी हिंदी ने राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय से जो दस्तावेज़ हासिल किए हैं, उनके मुताबिक़ गांधी ने लंदन यूनिवर्सिटी से जुड़े लॉ कॉलेज इनर टेम्पल से क़ानून की पढ़ाई कर डिग्री हासिल की थी.

गांधी को 1891 में बार-एट-लॉ का सर्टिफिकेट जारी हुआ था.

इस सर्टिफिकेट के अलावा बार के सामने पेश महात्मा गांधी का दस्तख़त किया हुआ दस्तावेज़ भी मौजूद है.

इनर टेम्पल में उनके दाखिले का दस्तावेज़ भी है. इस दस्तावेज़ का नंबर 7910 है. इसमें उनके इनर टेम्पल में उनके दाखिले की घोषणा है. इस दस्तावेज में एडमिशन का खर्च, स्टैम्प ड्यूटी. लेक्चर में शामिल होने की फ़ीस का भी ज़िक्र है.

लंदन में क़ानून की पढ़ाई के बाद गांधी भारत लौटे और बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की. लेकिन यहां उनकी वकालत नहीं चली.

दस्तावेज़ क्या कहते हैं?

बीबीसी ने राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय से जो दस्तावेज़ हासिल किए हैं, उनमें साल 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट में ‘गांधी एक वकील के रूप में’ नामक एक प्रदर्शनी में शामिल किए गए गांधी जी के आवेदन को वो प्रति भी है. ये आवेदन उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत शुरू करने के लिए दिया था.

आवेदन 1891 में दिया गया था. इस दस्तावेज़ पर भी गांधी जी के हस्ताक्षर हैं.

लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट में गांधी जी की वकालत चल नहीं पाई और वो काठियावाड़ पॉलिटिकल एजेंसी में प्रैक्टिस करने के लिए राजकोट चले गए.

राजकोट पॉलिटिकल एजेंसी के गज़ट में यहां की अदालतों में प्रैक्टिस के लिए दिए गए महात्मा गांधी के आवेदन की सूचना दी गई है.

1892 में जारी एजेंसी की अधिसूचना नंबर -16 में कहा गया है कि बैरिस्टर ऑफ़ लॉ मिस्टर एम. के. गांधी ने काठियावाड़ पॉलिटिकल एजेंसी की अदालतों में प्रैक्टिस की अनुमति मांगी थी और उन्हें इजाज़त दी गई है.

हालांकि काठियावाड़ में भी उन्हें क़ानून की प्रैक्टिस में कोई खास सफलता नहीं मिली.

1893 में काठियावाड़ के एक मुस्लिम व्यापारी दादा अब्दुल्ला ने मोहन दास करमचंद गांधी से संपर्क किया. दादा अब्दुल्ला का दक्षिण अफ्रीका में शिपिंग का सफल बिजनेस था. वो चाहते थे कि गांधी वहां जाकर उनके कारोबारी मुकदमे लड़ें.

दादा अब्दुल्ला के एक दूर के रिश्ते के भाई को भी एक वकील की ज़रूरत थी और वो चाहते थे कोई काठियावाड़ी वकील हो तो अच्छा रहेगा.

दादा अब्दुल्ला के बुलाने पर भी गांधी अफ्रीका गए. उन्हें दक्षिण अफ्रीका के नटाल मे एक साल रह कर दादा अब्दुल्ला के मुकदमे लड़ने थे. उस वक्त दक्षिण अफ्रीका भी अंग्रेजों का उपनिवेश था.

अप्रैल, 1893 में 23 साल की उम्र में गांधी अब्दुल्ला के रिश्ते के भाई के वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे.

महात्मा गांधी के प्रपौत्र ने क्या कहा?

मनोज सिन्हा की ओर से गांधी जी की डिग्रियों पर किए गए दावे के बाद महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी.

उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर मनोज सिन्हा के दावे का खंडन किया.

एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, “एम.के. गांधी ने दो बार मैट्रिक पास की. एक अल्फ्रेड हाई स्कूल राजकोट से, दूसरी इसके ही बराबर मानी जाने वाली लंदन की ब्रिटिश मैट्रिकुलेशन. उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से जुड़े लॉ कॉलेज इनर टेम्पल से क़ानून की पढ़ाई की और वहां से इसकी डिग्री हासिल की.”

उन्होंने लिखा, “गांधी जी ने एक के बाद एक दो डिप्लोमा हासिल किए. एक लैटिन में और दूसरा फ्रेंच में.”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा,”मैंने बापू की आत्मकथा जम्मू राजभवन को भेज दी, इस उम्मीद से कि उप राज्यपाल इसे पढ़ कर ज्ञान हासिल कर सकेंगे.”

यहां फेसुबक,यूट्यूब