जशपुर एडिशनल एसपी उमेश कश्यप ने बताया कि फरार कैदियों में तपिल भगत मनोरा क्षेत्र का निवासी है। उसके खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज है। वहीं दूसरा फरार आरोपी ललित राम तुमला का रहने वाला है। उसके खिलाफ हत्या का आरोप है और कुनकुरी एडीजे कोर्ट में मामला लंबित है।
जशपुर जिला जेल से सोमवार सुबह दो विचाराधीन कैदी फरार हो गए। दोनों कैदी हत्या और दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद थे। बताया जा रहा है कि दोनों बैडमिंटन के तार और वालीबॉल के पोल के सहारे जेल की ऊंची दीवार फांद गए। खास बात यह है कि कैदियों के भागने का पता भी जेल प्रबंधन को काफी देर से लग सका। इसके बाद जेल अधीक्षक ने थाने पहुंचकर मामला दर्ज कराया है।
बैडमिंटन ग्राउंड तैयार कर रहे थे दोनों कैदी
घटना सुबह करीब साढ़े पांच बजे की है। सूत्रों के मुताबिक, कैदी तपिल भगत और ललित राम जेल में बावर्ची का काम करते थे। दोनों तड़के करीब 4 बजे बैडमिंटन ग्राउंड में आकर उसे तैयार कर रहे थे। इसके बाद बैडमिंटन के तार का इस्तेमाल करते हुए वालीबॉल पोल पर चढ़कर दीवार फांदकर फरार हो गए। दोनों जब काफी देर तक नहीं लौटे तो जेल प्रहरियों को शक हुआ। तब पता चला कि दोनों भाग चुके हैं।
जेल अधीक्षक रात में कैदियों के साथ खेलते हैं बैडमिंटन
जेल सूत्रों के अनुसार, पता चला है कि जेल अधीक्षक मनीष संभलकर कैदियों को खुश करने के लिए उनके साथ देर रात तक बैडमिंटन खेलते हैं। बैडमिंटन खेलने से पहले विचाराधीन बंदियों को लॉकअप में बंद करने की औपचारिकता पूरी की जाती है। इस खेल में मुख्य प्रहरी, प्रहरी सभी साहब के साथ शामिल होते हैं। लापरवाही यहीं हुई कि ग्राउंड में बैडमिंटन की जाली और अन्य सामग्री वैसी की वैसी ही छोड़ दी गई।
जेल अधीक्षक समेत ये लोग भी संदिग्ध
बताया जा रहा है कि कैदियों के राशन में कटौती की गई है। आरोप है कि इससे कुछ अधिकारी और कर्मचारी मोटी कमाई कर रहे हैं। इसके चलते कुछ महीने पहले कैदियों ने जेल के अंदर भूख हड़ताल भी की थी। इसके बाद से ही जेल अधीक्षक मनीष संभलकर और मुख्य प्रहरी विजय ध्रुव , प्रहरी बुधराम निषाद, गजेंद्र निषाद और जीतू नाग बंदियों को लॉकअप से बाहर निकालकर देर रात तक बैडमिंटन खेलते रहे। इसके कारण ही संभवत: कैदी फरार होने की साजिश बनाने में सफल हुए।
सीसीटीवी फुटेज पहले की तरह हो सकते हैं डिलीट
कैदियों के फरार होने के बाद तमाम संदेह और सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि इससे पहले राशन घोटाले में तत्कालीन एसडीएम ने कार्रवाई की थी, लेकिन जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज के कई हिस्से गायब थे। जानकारी यह भी मिली है कि व्यापारी से सब्जी खरीदी बंद कर जेल अधीक्षक खुद ही अपने पैसे से प्रहरी बुधराम सिंह के माध्यम से मंगवा रहे थे। au से साभार