रायपुर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में स्थित ऐतिहासिक माता कौशल्या मंदिर में पूजा-अर्चना की. हालांकि, आरएसएस के एक पदाधिकारी ने यहां कहा कि भागवत के मंदिर जाने का सत्ताधारी दल कांग्रेस के निमंत्रण से कोई संबंध नहीं है.
पदाधिकारी ने बताया कि भागवत ने आज दोपहर रायपुर से करीब 27 किलोमीटर दूर स्थित कौशल्या माता मंदिर में दर्शन किया. इस दौरान उनके साथ प्रांत संघचालक डॉक्टर पूर्णेंदु सक्सेना और राज्य में आरएसएस के अन्य नेता भी थे. आरएसएस के सरसंघचालक भागवत ने बाद में वीआईपी मार्ग स्थित राम मंदिर में भी पूजा-अर्चना की. सोमवार को संपन्न हुई आरएसएस से संबंधित संगठनों की तीन दिवसीय राष्ट्रीय समन्वय बैठक में भाग लेने के लिए भागवत छह सितंबर से रायपुर में हैं.
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी तीन दिवसीय बैठक में शामिल होने के बाद सोमवार रात दिल्ली रवाना हुए. इससे पहले संवाददाताओं से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, ‘‘भागवत जी और आरएसएस के अन्य नेता समन्वय बैठक के लिए राजधानी में हैं, इसलिए मैं उन्हें मंदिर दर्शन के लिए आमंत्रित करता हूं.’’
सत्ताधारी दल कांग्रेस की ओर से रायपुर जिला अध्यक्ष गिरीश दुबे सोमवार को जैनम मानस भवन पहुंचे थे, जहां आरएसएस की समन्वय बैठक हुई थी. दुबे ने संगठन के पदाधिकारियों को भागवत को संबोधित करते हुए एक पत्र सौंपा था जिसमें आरएसएस प्रमुख को मंदिर में दर्शन के लिए आमंत्रित किया गया था. कांग्रेस ने भागवत को यह देखने के लिए भी आमंत्रित किया था कि राज्य में गौठानों को कैसे गौ-संरक्षण और आजीविका सृजन के केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है.
भागवत के मंदिर दर्शन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया है, ‘‘हमने मोहन भागवत जी को माता कौशल्या मंदिर दर्शन के लिए आमंत्रित किया था. मुझे विश्वास है कि वहां पहुंचकर उन्हें शांति की अनुभूति हुई होगी. मंदिर का नया स्वरूप, मां कौशल्या की ममता, भांचा राम की शक्ति का उन्हें एहसास हुआ होगा. हम उन्हें गौठान भी देखने के लिए आमंत्रित करते हैं जिससे गौ-माता की सेवा, उन्हें उत्पादकता से जोड़ना इत्यादि जान सकें.’’
बघेल ने लिखा है, ‘‘संस्कृत अनिवार्य विषय के साथ स्वामी आत्मानंद स्कूल योजना के अंतर्गत तैयार शानदार स्कूल भी यदि देखेंगे तो शिक्षा, संस्कार, आधुनिकता एक साथ जोड़ना भी सीख सकेंगे.’’ भगवान राम की मां, माता कौशल्या को सर्मिपत चंदखुरी के इस मंदिर का कांग्रेस सरकार ने ‘राम वन गमन‘ परियोजना के तहत पुन:निर्माण किया है. इस परियोजना के तहत राज्य के उन स्थानों पर जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल के दौरान समय बिताया था उसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. मान्यता है कि चंदखुरी माता कौशल्या की जन्मस्थली है और उन्हें सर्मिपत यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है.