रायपुर – जो गलतियों से सबक ले वों कांग्रेसी नहीं की तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार चल रही। पंजाब वाली परिस्थितियां बन रही राजस्थान वाली गर्मी चढ़ रही जब सत्ता नहीं था तो तालमेल था, सत्ता आई तालमेल बिसरा दिया गया। विगत दिनों कैबिनेट मंत्री टी .एस .सिंहदेव ने पंचायत विभाग का कार्य कई कारण गिनाते हुए छोड़ दिया ,उनके इस राजनैतिक चाल के कई मापदंड निकाले जाने लगे। 71 विधायकों में से 65 विधायकों ने उनकी कांग्रेस से बर्खास्तगी की मांग करते हुए पत्र लिखा है । सूत्रों के अनुसार यह शिकायत पत्र कार्यकारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे जाने की तैयारी है। यह सारा राजनीतिक घटनाक्रम प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के समक्ष होना बताया जा रहा है ।
ढाई – ढाई साल फार्मूले का शोर तो शुरू से ही था पर अब जोर वर्चस्व का है, विधायकों की संख्या बता रही है कि विधायक दल में दो फाड़ हो चुका है ।जैसे-जैसे चुनाव करीब आते जा रहे हैं मुखिया और महाराज के बीच तल्खी बढ़ते जा रही है ।कांग्रेस की सत्ता में वापसी सामंजस्य, संघर्ष और जन भावनाओं के अनुरूप बने घोषणापत्र का परिणाम था । पर अब आपसी संघर्ष सर्वोपरि सामंजस्य गौण और जन भावनाओं की तरफ दोनों पक्षों का ध्यान ही नहीं है ।
क्या सरगुजा और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में मिली ऐतिहासिक जीत की पुनरावृति इस वर्चस्व की लड़ाई की भेंट नहीं चढ़ेगी ? शब्दों, बयानों से मंत्रिमंडल के सामूहिक उत्तरदायित्व से बार-बार इनकार किया जा रहा है राजनीतिक मर्यादाएं टूट रही व्यक्तिगत आक्षेप हो रहे हैं ।राजनीतिक अस्थिरता को आमंत्रण दिया जा रहा है, ऐसे में मतदाता आगामी चुनाव में कैसे कांग्रेस को जीत का निमंत्रण देंगे? चारदीवारी की बात चौपाल से चौराहे तक आ गई है। चौराहे पर खड़ा राजनीतिक नेतृत्व कैसे ठोस निर्णय लेगा ? जब मनभेद इस्तीफे से होते हुए बर्खास्तगी तक पहुंच गया है।
बता दें कि शनिवार को पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने की खबर से प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
टी .एस .सिंहदेव ने आलाकमान से मिलने का समय माँगा है
इस मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल में तालमेल का अभाव नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने सिंहदेव का इस्तीफा नहीं मिलने की बात कहते हुए इस विषय पर उन्होंने चर्चा करने की बात कही थी.
इस पुरे मामलें में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मौन है ?