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देशभर में मात्र एक प्रयोगशाला, सिर्फ देशी गाय के दूध में ही मिलता है ‘ए-2’, जानिए इसके खास गुण…

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राजधानी में ए-2 का नया कॉन्सेप्ट तो आ गया है, लेकिन शासन से लेकर डेयरी वालों में मिल्क टेस्टिंग के प्रति गंभीरता का अभाव है, जबकि सेंटर में जर्मनी, केन्या सहित देश के 14 राज्यों के 65 शहरों से ए-2 मिल्क की टेस्टिंग रिर्पोट के लिए आवेदन आते हैं।

वहीं राजधानी में रोजाना लाखों लीटर की खपत होने के बावजूद लोगों को दूध परोस रहीं कंपनियां टेस्टिंग के नाम सिर्फ आंकड़ों में बढ़त बनाना चाहती है। इससे दूध में शुद्धता की मात्रा कम हो रही है। लैब संचालक राकेश तंबोली की मानें तो ए-2 टेस्टिंग कॉन्सेप्ट भारत का नहीं है। न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया में ए-2 को लेकर काफी जागरूक हैं।

चंद कमरे में संचालित लैब

देश के एकमात्र टेस्टिंग लैब को लेकर भी कई प्रश्न हैं। शासकीय दूध की सप्लाई कर रहे अधिकारी की माने तो ए-1, ए-2 टेस्टिंग लैब कितना मापदंडों पर खरा है। इसके बारे में पता करने की आवश्यकता है। महज चंद कमरों में देशभर के गायों की दूध की टेस्टिंग संभव नहीं है। वहीं प्रदेश में राजधानी जैसे प्रमुख जिलों को छोड़ दे तो अधिकांश लोग गांव में रहते है।

जहां पर देसी गाय, भैंस के दूध का सेवन करते है। साथ इन्ही कुछ परिवार से दूध की खरीदी कर उसकी बाकायदा टेस्टिंग कर शासन वितरण कर रही है। इसलिए सौ फीसदी लोग ए-1 दूध ही पी रहे हैं, ऐसा भी नहीं कह सकते हैं।

लैब में दूध की गुणवत्ता की जांच

राजधानी रायपुर में देश का पहला ए-1 और ए-2 मिल्क रिसर्च कार्पोरेशन टेस्टिंग लैब 2014 में शुरू हुआ है। राष्ट्रीय डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित तकनीक से यहां दूध की गुणवत्ता की जांच होती है। आम तौर पर विदेशी और जर्सी गाय के दूध को ए-1 मिल्क कहा जाता है, जो बच्चों के लिए नुकसानदेह है। वहीं देसी गाय के दूध को ए-2 माना जाता है।

राष्ट्रीय डेयरी रिसर्च अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) करनाल, हरियाणा के विशेष सहभागीदार है। ए-2 मिल्क रिसर्च कार्पोरेशन स्वदेशी गौपालन आधारित डेयरी एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु प्रतिबद्ध है। ए-2 मिल्क रिसर्च कार्पोरेशन भारत की प्रथम लैब है। अभी तक सिर्फ दूध में पानी की मात्रा और रसायनों की जांच होती थी।

दूध की शुद्धता को जागरूकता नहीं

देशभर में दूध की शुद्धता को लेकर जागरूकता नहीं है, क्योंकि पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित बैठक में कई वैज्ञानिक शामिल हुए। गौसेना प्रदेश अध्यक्ष रवि वर्मा ने बताया कि बैठक में बड़े ही आश्चर्यजनक विचार रहे। लोगों का यही कहना था कि ए-1 दूध से ही खपत को पूरा किया जा सकता है, जो समय की मांग है, जबकि ए-2 दूध के सेवन से कई तरह की रोग की समस्या डॉक्टरों द्वारा बताए जा रहे हैं।

ए-2 दूध के फायदे

यह केवल देसी गायों के दूध में पाया जाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है। कैंसर रोग से बचाता है। पाचन तंत्र के लिए लाभदायक है। इन्हीं गुणों के चलते छोटे बच्चों को केवल देसी गाय का दूध ही पिलाया जाता है।

ए-1 दूध (नुकसानदायक)

बीटाकेजिन ए-1 दूध पीने के बाद यह बीसीएम सात यानी बीटा कैजो मारफिन बनाता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इस दूध से बच्चों को डायबिटीज हो सकती है। पाचन तंत्र को खराब करता है। दिल की बीमारी बढ़ाता है। दिमाग को कुंद करता है। विदेशी गायों के दूध में यह प्रोटीन मिलता है।