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जामिया में सीएए के विरोध मार्च में एक शख़्स ने चलाई गोली, एक छात्र घायल

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 जामिया इलाक़े में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ गुरुवार को निकाले गए एक मार्च में एक व्यक्ति ने फ़ायरिंग की.

पुलिस ने फ़ायरिंग करने वाले व्यक्ति को हिरासत में ले लिया है.

समाचार एजेंसी एएनआई ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी चिनमय बिस्वाल के हवाले से कहा है कि घायल होने वाले छात्र का नाम शादाब फ़ारूक़ है जबिक गोली चलाने वाले का नाम गोपाल है.

पुलिस के अनुसार शादाब फ़ारूक़ के बाएं हाथ में गोली लगी है और उन्हें अस्पताल से ट्रॉमा सेंटर रेफ़र कर दिया गया है, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें ख़तरे से बाहर बताया है.

एएनआई के अनुसार गोली चलाने वाले व्यक्ति गोपाल से पुलिस पूछताछ कर रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार गोली चलाने वाले व्यक्ति ने चिल्ला कर कहा था, ‘ये लो आज़ादी.’

इस घटना पर सोशल मीडिया में ख़ूब प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शैहला रशीद ने इसे ‘आतंकवादी’ घटना कहा है.

शैहला रशीद ने ट्वीट किया, ”जामिया में हमला सिर्फ़ हाथ में पिस्टल लिए एक व्यक्ति के ज़रिए गोली चलाना नहीं है. ये एक आतंकवादी हमला है जिसे आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित एक दक्षिणपंथी व्यक्ति ने किया है जो कि अमित शाह, नरेंद्र मोदी और अनुराग ठाकुर के ज़रिए हिंसा की अपील करने के कारण उत्तेजित हुआ है.”

वहीं जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने इस घटना के बारे में लिखा है कि इससे पहले कि पूरा देश बर्बाद हो जाए लोगों को जागना चाहिए.

कन्हैया कुमार ने ट्वीट किया है, ”देखिए इन तस्वीरो को।नफरत में अंधा होकर आजाद भारत के पहले आतंकवादी नाथूराम गोडसे ने 72साल पहले इसी तरह गांधीजी की हत्या कर दी थी क्योंकि उसे लगता था कि बापू ‘देश के गद्दार’ हैं.आज राम का नाम लेकर सत्ता में आए लोग नाथूराम का देश बना रहे हैं।जागिए,इससे पहले कि पूरा देश बर्बाद हो जाए.”

फ़िल्म स्टार ज़ीशान अय्यूब ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने ट्वीट किया है, ”जिन लोगों को ‘ये सब’ shocking लग रहा है, उनसे मैं बस यही कहूँगा,”आप नींद में थे”. क्या आप नींद में थे.”

इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका पर भी लोग ख़ूब सवाल उठा रहे हैं.

दरअसल जब हमलावर अपनी पिस्टल हवा में लहरा रहा था उस समय पुलिस वाले हाथ बांधे देखे जा सकते हैं.

फ़िल्म कलाकार स्वरा भाष्कर ने दिल्ली पुलिस पर तंज़ करते हुए लिखा है, ‘तूसी ग्रेट हो.’

दिल्ली पुलिस के इलावा कई लोग सोशल मीडिया पर इसके लिए गृहमंत्री अमित शाह समेत बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण को ज़िम्मेदार ठहरा रहें हैं.

हुसैन हैदरी ने कहा है कि आने वाले एक-दो साल में अगर आपके बच्चों को दिन दहाड़े गोली मारी जाएगी और पुलिस वाले मूकदर्शक बने रहेंगे.

वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने भी दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए हैं.

उन्होंने कहा है कि दिल्ली पुलिस की आंखों के सामने ये सबकुछ हुआ.

जानी मानी पत्रकार निधि राज़दान ने कहा है भड़काऊ भाषण का नतीजा तो होगा ही.

पत्रकार माया मीरचंदानी ने पुलिस की भूमिक पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, “दिल्ली पुलिस उन पुलिसवालों पर क्या कार्रवाई करेगी जो हथियार लहराते और गोली चलाते युवक को देखते रहे.”

वहीं सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, “दिल्ली पुलिस, पिछले महीने जामिया में आपने जो बहादुरी दिखाई उसे क्या हुआ? अगर ख़ामोश खड़े चश्मदीदों के लिए कोई ईनाम हो तो आप उसे हर बार जीतेंगे. क्या आप ये समझा सकते हैं कि गोली से घायल युवक को बैरीकेड क्यों चढ़नी पड़ी, क्या आपके सर्विस रूप आपको इंसान होने से भी रोकते हैं.”

असदउद्दीन ओवैसी ने अपने इस ट्वीट के साथ पुलिस बैरिकेडिंग पार कर रहे गोली लगने से घायल युवक की तस्वीर भी साझा की है.

वहीं ओनीर ने पुलिस से पूछा है, “दिल्ली पुलिस, हमलावरों की रक्षा करने के लिए आपको कौन पैसे देता है? करदाताओं का पैसा, जिससे आपको वेतन मिलता है वो बच्चों की रक्षा के लिए है, हमलावरों की रक्षा के लिए नहीं.”

वहीं राजेंद्र साहनी ने लिखा, “अगर ये सीएए के समर्थन में रैली होती और कोई हथियार लेकर आ जाता तो पुलिस निश्चित तौर पर उसे गोली मार देती. निश्चित तौर पर कैमरामैन ने पुलिस से ज़्यादा बहादुरी दिखाई और हमलावर को रोकने आगे बढ़े.”

फ़िल्म कलाकार सुशांत सिंह ने भी दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लिया है.