आपको बता दें कि सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी हैं। वही इनका जन्मदिन हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं उनके अनुयायी उन्हें गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह जैसे कई सारे नामों से संबोधित करते हैं। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे जाकर शबद कीर्तन और लंगरों का आयोजन करते हैं गुरु नानक देव जी ने लोगों को अच्छा जीवन जीने के लिए कुछ मूल मंत्र दिए थे तो आज हम आपको उन मूल मंत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए गुरु नानक देव के मूल मंत्र—
कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता हैं, रब केवल लकीरे देता है रंग हमको भरना पड़ता हैं। दूब की तरह छोटे बनकर रहो, जब घास पात जल जाते है तब भी दूब जस की तस रहती हैं।
जिस व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं है वो कभी ईश्वन पर भी पूर्णरूप से विश्वास नहीं कर सकता हैं।
ये पूरी दुनिया कठनाईयों में है। वह जिसे खुद पर भरोसा है वही विजेता कहलाता हैं।
केवल वही वाणी बोलों जो आपको सम्मान दिलवा सके।
अहंकार द्वारा ही मानवता का अंत होता है। अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि ह्रदय में सेवा भाव रख जीवन व्यतीत करना चाहिए।
सांसारिक प्रेमी की लौ जलाओ और राख की स्याही बनाओ, ह्रदय को कलम बनाओ, बुद्धि को लेखक बनाओ, वह लिखो जिसका कोई अंत या सीमा नहीं हैं।
जब शरीर गंदा हो जाता है तो हम पानी से उसे साफ कर लेते हैं। उसी प्रकार जब हमारा मन गंदा हो जाये तो उसे ईश्वर के जाप और प्रेम द्वारा ही स्वच्छ किया जा सकता हैं।
धन को जेब तक ही रखें उसे ह्रदय में स्थान न दें। जब धन को ह्रदय में स्थान दिया जाता है तो सुख शांति के स्थान पर लालच, भेदभाव और बुराइयों का जन्म होता हैं।