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जब जेल में कैदी ने देखे करोड़ों रुपए तो कर दिया ऐसा कारनामा, जांच में घिरे अफसर

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जेल में सजा काट रहे एक कैदी की नजर जब फाइलों में अटके करोड़ों रुपए पर पड़ी तो उसने हाथ साफ करने का षडयंत्र रचा। छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल से सजा पूरी कर बाहर आते ही उसने कुछ जेल अधिकारियों से साठगांठ कर एक एनजीओ बनाई और सबने मिलकर शुरू कर दिया जेलों से करोड़ों रुपए का गबन।

लेकिन पिछले दिनों जब विजयानंद राज्य के जशपुर की जिला जेल के नए जेलर बनकर पहुंचे तब सामान्य जांच में उन्होंने पाया कि, सामान्यत: फाइलों में उलझी रहने वाली कैदियों के पारिश्रमिक की रकम बार बार किस जनार्दन वेलफेयर सोसाइटी के खाते मे जा रही है।

बता दें कि, जेल में कैदी जो काम करते हैं, उसका पारिश्रमिक उनको दिया जाता है किंतु, ब्रिटिश शासनकाल से चले आ रहे नियमों के अनुसार उनको नकद नहीं दी जाती बल्कि, सजा पूरी होने के बाद उनको दी जाती है वह भी लम्बी कानूनी प्रक्रिया के बाद।

अधिकांश कैदी तो जानकारी के अभाव में इस रकम पर ध्यान ही नहीं देते। परिणामस्वरूप वह रकम जेलों मे जमा है। खबरों के अनुसार हर पुरानी जेल के कागजों में ऐसी रकम करोड़ों में है, जिसे कोई लेने वाला ही नहीं। घनश्याम ने जेल अफसरों से मिलकर इसी रकम पर हाथ साफ किया।

मामले में जब यह पता किया गया कि जनार्दन वेलफेयर सोसाइटी ने और कहां – कहां इस तरह के और कारनामे किया है तो पता चला कि, बिलासपुर संभाग के कई जिलों में इस तरह की गड़बड़ हुई है।

खबर है कि, जशपुर, रायगढ़, कोरबा के अलावा जांजगीर के जेलों में भी लाखों की गड़बड़ी हुई है, जिसमें रायगढ़ में 13 लाख की गड़बड़ी पाए जाने के बाद 4 लाख की वापस वसूली भी हो गई।

इस मामले पर जेल के आला अधिकारी फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, उनका कहना है कि कार्यवाही होने वाली है, ये तो जब कार्यवाही होगी तभी हम कुछ कह पाएंगे। हालांकि इसके खुलासा के बाद छत्तीसगढ़ के कई और जेल संदेह के घेरे में आ गया हैं।