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मंदी की चपेट में ऑटो इंडस्ट्री, मारुति सुजुकी ने तीन हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाला

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देश के वाहन उद्योग में जारी मंदी के बीच मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के चेयरमैन आरसी भार्गव ने मंगलवार को कहा कि कंपनी अपने 16,050 मजबूत स्थायी कर्मचारियों की संख्या में कटौती नहीं करेगी। हालांकि, मंदी के कारण करीब 3,000 अस्थायी कर्मचारियों के अनुबंधों को आगे नहीं बढ़ाया गया है। यानि कि इन कर्मचारियों के पास अब कोई नौकरी नहीं बची। सालाना आम बैठक (एजीएम) में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए भार्गव ने कहा कि अगर राज्य सरकारें विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में अपनी भूमिका नहीं निभाती हैं तो मोदी सरकार का पांच साल में 5,000 अरब डॉलर का अर्थव्यवस्था बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य पटरी से उतर सकता है। साथ ही अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 25 फीसदी तक पहुंचाना काफी मुश्किल होगा। 

इसलिए विनिर्माण उद्योग को आगे बढ़ाने में राज्यों को भागीदारी निभानी होगी और पूरे वाहन उद्योग में अपनी भूमिका के महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी में वाहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 49 फीसदी है। यह उद्योग राज्यों में काफी रोजगार और राजस्व सृजन करता है, लेकिन मंदी या बिक्री में गिरावट से इन पर असर पड़ता है। 

उन्होंने कहा कि किसी उद्योग की परिचालन लागत पर राज्यों को काफी कुछ करने की जरूरत है। राज्यों का कराधान काफी ऊंचा है। पेट्रोल पर कर काफी अधिक है। ऐसे में किसी के लिए कार रखना कितना सुविधापूर्ण हो सकता है, यह काफी हद तक राज्यों पर ही निर्भर है। भार्गव ने कहा कि कंपनी इस साल सीएनजी कारों का उत्पादन 50 फीसदी तक बढ़ाने जा रही है। बीएस-6 मानक से अगले वित्त वर्ष में बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।

ऑटो एलपीजी पर जीएसटी घटाए सरकार ऑटो एलपीजी उद्योग ने सरकार से जीएसटी में कटौती की मांग की है। इंडियन ऑटो एलपीजी कोलिशन (आईएसी) के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने कहा कि ऑटो एलपीजी को सीएनजी जैसे स्वच्छ ईंधन के समान मानते हुए सरकार उसे वित्तीय प्रोत्साहन दे। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में प्रदूषण नियत्रण के लिए ऐसे ईंधन को प्रोत्साहन देना जरूरी है। 

गुप्ता के मुताबिक, वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद को पत्र लिखकर ऑटो एलपीजी पर जीएसटी को 18 से घटाकर पांच फीसदी और ऑटो एलपीजी किट पर जीएसटी को 28 से घटाकर पांच फीसदी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हमें सब्सिडी की जरूरत नहीं है। हम जीएसटी कटौती जैसे नीतिगत हस्तक्षेप के जरिए सिर्फ समान अवसर चाहते हैं।