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12 देशों के पैकेज्ड फूड रैंकिंग में भारत सबसे निचले पायदान पर

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एक वैश्विक सर्वे में पाया गया है कि दुनियाभर में पैकेज्ड यानी पैकेटबंद खाना या पेय के मामले में भारत की स्थिति बेहद खराब है। 12 देशों में किए गए सर्वे में भारत की रैकिंग सबसे नीचे है। जबकि बोतलबंद पेय या पैकेटबंद खाने के मामले में ब्रिटेन चार्ट में सबसे ऊपर है। उसके बाद अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है।

12 देश और 4 लाख नमूने

यह सर्वेक्षण ओबेसिटी जरनल में प्रकाशित हुआ है। इन आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए शोधार्थियों ने 12 देशों और पूरी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से 4 लाख से ज्यादा नमूनों का परीक्षण किया था। सर्वे में मुख्य रूप से लोगों के पसंदीदा खाने में चीनी, सेचुरेटेड फैट, नमक और कैलोरी की मात्रा पर ध्यान दिया गया था।

ऑस्ट्रेलिया स्वास्थ्य स्टार रेटिंग

देशों को ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली का उपयोग कर रैंकिंग की गई जो ऊर्जा, नमक, चीनी, संतृप्त वसा के साथ प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर जैसे पोषक तत्वों के स्तर को मापता है और आधे से एक स्टार रेटिंग प्रदान करता है।

ब्रिटेन सबसे बेहतर

सर्वे में पाया गया कि ब्रिटेन में सबसे अधिक औसत स्वास्थ्य रेटिंग 2.83 थी। इसके बाद अमेरिका में 2.82 और ऑस्ट्रेलिया में 2.81 थी। इन देशों में भारत को सबसे कम रेटिंग 2.27 मिली। जबकि चीन को 2.43 और चिली को भी भारत से ज्यादा 2.44 रेटिंग मिली।

शोध में यह भी पाया गया कि चीन के पेय 2.9 की औसत हेल्थ स्टार रेटिंग के साथ सबसे अच्छे थे लेकिन पैक किए गए खाद्य पदार्थों ने सिर्फ 2.39 से कम स्कोर किया। दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीका ने अपने पेय पदार्थों की औसत 1.92 रेटिंग के साथ कम स्कोर किया, जबकि उसके खाद्य पदार्थ 2.87 पर आए। ब्रिटेन ने चीनी की मात्रा के लिए प्रति 100 ग्राम में केवल 3.8 ग्राम की मात्रा के साथ सबसे अच्छा स्कोर बनाया। इसके बाद दूसरे स्थान पर कनाडा रहा जिसके पेय पदार्थों में प्रति 100 ग्राम 4.6 ग्राम चीनी की मात्रा थी।

स्वास्थ्य संकट सुनामी की तरह

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये परिणाम बहुत चिंताजनक हैं क्योंकि ये खाद्य पदार्थ मध्यम आय वाले देशों में आहार से जुड़ी बीमारियों का बोझ को और बढ़ा रहे हैं।

जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की अध्ययन लेखक एलिजाबेथ डनफोर्ड ने कहा, “हमारे परिणाम दिखाते हैं कि कुछ देश दूसरों की तुलना में बहुत बेहतर काम कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, यह गरीब राष्ट्र हैं जो कम से कम प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों को संबोधित करने में सक्षम हैं।” उनका आगे कहना है कि ”अरबों लोग लगभग हरदिन बहुत ही अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खा रहे हैं। इससे होने वाले मोटापे का संकट हमारे लिए आने वाले दिनों में सुनामी की तरह है।”