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भोले शंकर पहुंचे अदालत, क्यों लगानी पड़ी उन्हें गुहार?

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देश में शायद ही ऐसा कोई गांव या शहर हो जो अतिक्रमण से बच पाया हो. सड़कों-बाज़ारों में तो अवैध कब्ज़े फैल ही रहे हैं, मंदिर-मस्जिद को भी अतिक्रमणकारियों ने नहीं बख़्शा है. इन अतिक्रमणकारियों से अब भगवान भी परेशान हो चुके. सावन के महीने में संसार की कमान संभाल रहे भोलेनाथ अदालत की शरण में पहुंच गए हैं.

हरिद्वार में गुहार
ये मामला उत्तराखंड के हरिद्वार का है. यहां की ज़िला अदालत में एक बड़ी दिलचस्प याचिका लगाई गई है. इस पर आज सुनवाई होनी है. याचिका में ख़ुद शंकर भगवान याचिकाकर्ता हैं. वो धर्म की इस नगरी में फैल रहे अतिक्रमण से परेशान हैं. याचिका में भोलेनाथ ने अदालत से गुहार लगाई है. इसमें उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की है कि कम से कम मुझे तो अतिक्रमण से बचा लो.

याचिका में भोलेनाथ ने विस्तार से बताया है कि इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होलकर ने हरिद्वार में शिवलिंग स्थापित किया था. उन्होंने 1775 में कुशावर्त घाट बनाया था उस पर शिवलिंग स्थापित किया गया था. मगर अब असामाजिक तत्वों ने उस पर अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है. शिवलिंग अतिक्रमण के कारण पूरी तरह घिर गया है. यही वजह है कि भक्त अब मेरी यावी भगवान भोलेनाथ की पूजा नहीं कर पा रहे हैं.

भगवान भोलेनाथ ने बाड़ा कुशावर्त घाट के अपने भक्त वेद प्रकाश, अनिल पाल और अशोक भारद्वाज के ज़रिये ये याचिका हरिद्वार की अदालत में लगाई है.