फलों का राजा कहा जाने वाला आम इस बार कम देखने को मिल रहा है. इसकी वजह है की पूरे देश में आम की पैदावार घटी है. यही वजह है की आम इस बार मार्केट में महंगा मिल रहा है. लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि जल्द ही दशहरी आम बाजार में आने वाला है. जल्द बाजार में इसकी आवक बढ़ने से दाम कम होने के आसार हैं. कारोबारियों की मानें तो अभी 50 से 60 रुपए किलो तक दशहरी मिल सकेगा. जून के मध्य से कीमतें गिरनी शुरू हो सकती हैं. आपको बता दें कि अभी ये कीमत 80-100 रुपए किलो है.
इस वजह से महंगा है हुआ है आम
उत्तर प्रदेश के कारोबारियों के मुताबिक बीते सालों से करीब एक सप्ताह की देरी से दशहरी देशी-विदेशी बाजारों में 1 जून से दस्तक दी है. हालांकि मई के आखिरी हफ्ते से कच्ची दशहरी की तोड़ाई शुरू हो गई है लेकिन पक कर बिकने में इसे अभी 7-8 दिन का समय लगेगा. लजीज स्वाद के लिए पहचाने जाने वाला दशहरी आम कीड़ों के प्रकोप की वजह से मार्केट में आने इसे देरी हुई. घरेलू ही नहीं बल्कि विदेशी बाजारों में भी दशहरी के ऑर्डर बीते साल के मुकाबले ऊंचे रेट पर मिल रहे हैं. इस बार कमजोर फसल के चलते स्थानीय बाजारों में दाम 40-50 रुपये पर ही खुलेंगे जो जून के मध्य तक कुछ नीचे आ सकते हैं.
वाब के ब्रांड नाम से दशहरी अमेरिकी और यूरोपीय देशों में भेजा जाता है दशहरी आम
आपको बता दें कि पिछले दो सालों से फल पट्टी क्षेत्र काकोरी, मलिहाबाद में 35 से 40 लाख टन दशहरी का उत्पादन हो रहा है. इस बार इसके और भी कम होने की संभावना है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मलिहाबाद क्षेत्र के 27,000 हेक्टेयर में दशहरी की उपज होती है. बीते करीब 10 सालों से मंडी परिषद से सहयोग से यहां का दशहरी आम नवाब के ब्रांड नाम से अमेरिकी व यूरोपीय देशों में भेजा जा रहा है. खाड़ी देशों और दक्षिण एशियाई देशों में भी मलिहाबाद के दशहरी की खासी मांग है.
इस वजह से पिछले साल से 25-30% ज्यादा है कीमत
देश के सबसे बड़े आम उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में आम की फसल पिछले साल से 45 से 50% तक कम आ रही है. साथ ही आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में भी फसल उम्मीद के मुताबिक नहीं है. इसलिए आम की कीमतें भी पिछले साल से 25-30% ज्यादा हैं. इसकी वजह यह है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादक क्षेत्रों में रेतीले तूफान ने फसल बर्बाद कर दी है. पहले अनुमान था कि इस बार उत्तर प्रदेश में आम का उत्पादन पिछले साल के 40 से 45 लाख टन से घटकर 30 लाख टन तक सिमट जाएगा.