राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को नरेंद्र मोदी सरकार ने दोबारा इस पद पर चुन लिया है. बल्कि इस बार उनके ओहदे को पहले से ज्यादा बढ़ाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा रहा है. पाकिस्तान में उन्होंने बतौर ऐजेंट ऐसा काम किया था कि उन्हें जेम्स बांड कहा जाने लगा था. आइए जानते हैं क्यों उनके नाम मात्र से थर्रा जाता है पाकिस्तान.
अजित डोभाल पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम कर चुके हैं. शुरुआती दिनों में वे अंडरकवर एजेंट थे और सात वर्ष तक पाकिस्तान में सक्रिय रहे. वे पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम की तरह रहे.
भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका.
इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी.
पाकिस्तान के किसी भी इलाके में कुछ भी होता है तो वहां के सुरक्षा विशेषज्ञ और मीडिया अजीज डोभाल पर आरोप लगाने शुरू कर देते हैं. पाकिस्तान कोई धमाका होने पर वहां टि्वटर पर अजीत डोभाल ट्रेंड करने लगते हैं.
जून 2010: अजित डोभाल के दिशा निर्देशन में भारतीय सेना ने पहली बार सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया. ऑपरेशन में करीब 30 उग्रवादी मारे गए.
जून 2014: डोभाल ने आईएसआईएस के कब्जे से 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नर्सें आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले इराकी शहर तिकरित के एक अस्पताल में फंस गई थीं.
यह अजित डोभाल का ही कमाल था कि 1971 से लेकर 1999 तक 5 इंडियन एयरलाइंस के विमानों के संभावित अपहरण की घटनाओं को टाला जा सका था.
1999: कंधार में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी -814 के अपहर्ताओं के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार के तौर पर अजित डोभाल ही थे.
वह मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में चल रहे उग्रवाद विरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे. 1968 में पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने के दौरान लालडेंगा उग्रवादी समूह के 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के पक्ष में कर लिया था.
कश्मीर में कुक्के पैरे जैसे कट्टर कश्मीरी आतंकवादी को राज़ी कर अजित डोभाल ने भारत विरोधी संगठनों को शांति का संदेश दिया था. उन्होंने कट्टरपंथी भारत विरोधी आतंकवादियों को भी निशाना बनाया और 1996 में जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव के लिए मार्ग प्रशस्त किया.