छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अधूरे निर्माण लोगों की जान के लिए आफत बन गये है. स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट ऐसे है जो विधानसभा चुनाव के पहले से अधूरे हैं और मानसून से पहले उनके पूरे होने के आसार भी नज़र नहीं आ रहे है. इस अधूरे निर्माण के कारण कई लोगों की जान खतरे में पड़ गई है. रायपुर के बीचो-बीच बना स्काई वॉक जैसे प्रोजेक्ट कई जानलेवा हादसों को न्योता दे रहे हैं. इसी वजह से इन प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं. एक नजर डालते है उन निर्माण कार्यों पर जो रायपुर के लिए मुसीबत बन गए हैं.
प्रोजेक्ट 1 स्काई वॉक:
राजधानी में बना रहा स्काई वॉक अब तक का सबसे विवादित प्रोजेक्ट रहा है. कई तरह के विरोध के बावजूद पिछली बीजेपी सरकार द्वारा इसका निर्माण कराया जा रहा था. प्रदेश में सरकार बदलने के बाद कांग्रेस ने इस पर नज़र टेढ़ी कर दी है. स्काई वॉक को तोड़ने और इसकी जगह फ्लाईओवर बनाने जैसी भी मांगे उठीं लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया और अब करीब 70 फीसदी काम पूरा होने के बाद भूपेश सरकार ने इस पर रोक लगा दी है. करीब 50 करोड़ की लागत से बनने वाले इस स्काई वॉक का निर्माण 23 जनवरी 2018 तक पूरा हो जाना था लेकिन अब भूपेश सरकार इसे लेकर असमंजस की स्थिति में है. जबकि यहां कई बार हादसे भी हो चुके हैं…
प्रोजेक्ट 2 एक्सप्रेस -वे:
मौजूदा शहर से नया रायपुर तक 12 किलोमीटर के नौरोगेज एक्सप्रेस-वे में स्टेशन से माना तक सड़क बनाई गई है. यहां शहर के आउटर में फोरलेन का काम पूरा हो चुका है लेकिन शहर के भीतर का पेंच अब भी फंसा हुआ है. नैरोगेज एक्सप्रेस-वे राजधानी में अब तक का सबसे महंगा सड़क प्रोजेक्ट है. स्टेशन से तेलीबांधा तक पुलों की वजह से यह महंगा हुआ है. वहां से 6 किमी शदाणी दरबार तक केवल सड़क बनी है. इस तरह, 12 किमी के पहले चरण की लागत 249 करोड़ रुपए है. इसके बाद शदाणी दरबार से केंद्री (नई राजधानी) तक 10 किमी सड़क का खर्च 150 करोड़ आंका गया है, यानी कुल मिलाकर 22 किलोमीटर सड़क की लागत 400 करोड़ रुपए. सड़क बनने से राजधानी का बड़ा ट्रैफिक डायवर्ट होता और शहर के भीतर भी ट्रैफिक से राहत मिलती, लेकिन इसका भी काम अब रूक गया है और काम को पूरा होने में अभी वक्त लगेगा.
प्रोजेक्ट 3 केनाल रोड ओवरब्रिज:
पंडरी से लालपुर तक जाने वाली केनाल रोड पर दूसरे फ्लाईओवर का निर्माण अधूरा है. रायपुर से धमतरी जाने वाली रोड होने के कारण इस सड़क पर ट्रैफिक का प्रेशर ज्यादा है. जिसे देखते हुए यहां ओवर ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा था. करीब 20 करोड़ की लागत से 600 मीटर लंबे ब्रिज का निर्माण यहां होना था, जो की अधिकतम डेढ़ साल में तैयार हो जाना था, लेकिन पिछले ढाई साल से यहां कार्य प्रगति पर ही है.
जिम्मेदारों दे रहे ये दलील
इन अधूरे निर्माणों को लेकर निगम के उपनेता प्रतिपक्ष रमेश सिंह ठाकुर का कहना है कि बीजेपी सरकार द्वारा ये सारे प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे. लेकिन कांग्रेस सरकार ने उन प्रोजेक्ट को पूरा करने के बजाय सारे प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. वहीं महापौर प्रमोद दूबे की दलील है कि पिछली सरकार में बीना सोचे समझे ठेका दिया गया और अब सरकारी नियमों के तहत ही ठेकेदारों को नोटिस जारी किया जा रहा है.