छत्तीसगढ़ के महासमुंद नगर पालिका की जनता एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रही है और आला अधिकारी पानी की पूर्ति पूरा करने की बजाय कोरा आश्वासन देने में लगे है. नगरपालिका के आधा दर्जन से भी अधिक वार्ड पिछले कई सालों से गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत झेल रहे है, पर इन नागरिकों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. महासमुंद नगर पालिका की बदइंतजामी से हर साल यहां के निवासियों का जीना मुहाल हो जाता है. अब गर्मी की शुरुआत से ही एक बार फिर महासमुंद के कई वार्डों में जल संकट गहराने लगा है. जहां महासमुंद के वार्डवासी पानी की किल्लत से जूझने की बात कह रहे है तो वहीं आला अधिकारी अपना ही राग अलाप रहे है.
गौरतलब हो कि नगर पालिका के अंतर्गत महासमुंद में कुल 30 वार्ड शामिल है. इन 30 वार्डों की आबादी लगभग 80 हजार की है. इन 30 वार्डों में नगरपालिका 7 पानी टंकी, 7 टैंकर के माध्यम से रोजाना 1 करोड़ 20 लाख लीटर पानी पहुंचाने का दावा करती है, पर हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है. नगरपालिका में 220 हैण्डपंप लगे है, जिनमें से 50 हैण्डपंप जलस्तर नीचे चले जाने के कारण शोपीस बने हुए है. तीस वार्डों में से अम्बेडकर नगर, रावण भाठा, नयापारा, इमलीभाठा, सुभाषनगर और पिटियाझर के हजारों नागरिक प्रतिदिन पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. नगर पालिका के कर्मचारी नागरिकों को पानी मुहैया नहीं करा पा रहे है. जिन इलाकों में नल में पानी एवं टैंकर नहीं पहुंचता है वहां के नागरिक एक -एक बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर है. नागरिकों को कहना है कि पानी की किल्लत है, पर कोई सुनने वाला नहीं है.
ऐसा नहीं है कि गर्मी के दिनों में यह हालत पहली बार हुई है. हर साल गर्मी के दिनों में महासमुंद में पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ता है. हर बार नगर पालिका के जिम्मेदार लोग गर्मी से पहले अपनी तैयारी पूरी करने का दावा करते है. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. वहीं इस पूरे मामले में नगर पालिका सीएमओ प्रीति सिंह का कहना है कि महासमुंद के कुछ इलाकों से पानी की कमी की शिकायत जरुर मिल रही है. लेकिन गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत ने हो इसके लिए प्रशसान हर संभव प्रयास कर रही है.