छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का भूजल स्तर साल दर साल घट रहा है. केन्द्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक रायपुर में पिछले 10 सालों के दौरान भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरा है. हर साल रायपुर का औसत जल स्तर 1 मीटर नीचे जा रहा है, जो राजधानी में रहने वालों के लिए अलार्म की स्थिति है. अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में लोगों को ग्राउंड वाटर नसीब नहीं होगा. राजधानी की बढ़ती आबादी ने जमीन के भीतर के पानी को भी नहीं बख्शा. हालात ये है कि धीरे-धीरे भूजल स्तर नीचे चला जा रहा है और रायपुर सीमेंट और कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गया है. यहां के तालाब सिकुड़ कर गड्ढों में तब्दील हो गए हैं और अधिकतर कुओं को पाट दिया गया. नतीजा ये हुआ कि इसका सीधा प्रभाव धरती की जल अवशोषण क्षमता पर पड़ा और बीते 10 सालों में हर साल एक से डेढ़ मीटर वॉटर लेवल नीचे जाता जा रहा है.
केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक
पिछले 10 सालों में रायपुर का जल स्तर 14 मीटर तक नीचे चला गया.
21 ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्रों में 20 से 50 सेंटीमीटर हर साल जल स्तर नीचे जा रहा है.
बोरवेल खुदाई में 13 मीटर और जलस्तर नीचे जा चुका है.
स्थायी जल स्तर – 2010 में 12 मीटर था
अब 2019 में ये 20 मीटर पर चला गया है.
ड्राय बेल्ट एरिया – देवपुरी, पचपेढ़ी नाका, मोवा, पंडरी, दलदल सिवनी, खमतराई, बीरगांव, मठपुरैना, भाठागांव, टाटीबंध, रावांभाठा, कोटा
लगातार गिरते भूजल स्तर के लिए पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ निनाद बोधनकर इस हालात लिए जागरूकता की कमी और खराब वाटर मैनेजटमेंट को इसका काम बता रहे हैं. भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ.निनाद बोधनकर का कहना है कि लोगों में पानी के कैसे बचाया जाए, इसे लेकर जारुकता नहीं है. लोगों को पानी का मैनटमेंट नहीं आता. लोग पानी बर्बाद ज्यादा कर रहे है, बचाव न के बराबर. इसलिए रायपुर में पानी की कमी होती जा रही है. राजधानी में गिरते भूजल स्तर को लेकर संभाग आयुक्त जीआर चुरेन्द्र का कहना है कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए बजट की कमी है और ऐसे में डबरी बनाकर ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज किया जाएगा.