कर्नाटक के कारवार से एक दुखद खबर आ रही है। यहां पर एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर आग लगने की वजह से लेफ्टिनेंट कमांडर रैंक का एक ऑफिसर शहीद हो गया है। घटना शुक्रवार को उस समय हुई जब आईएनएस विक्रमादित्य बंदरगाह पर दाखिल हो रहा था। कुछ मिनटों बाद आग पर काबू पा लिया गया और वॉरशिप को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ।
साल 2014 में बना नेवी का हिस्सा
इस घटना में लेफ्टिनेंट कमांडर देवेश चौहान ने अपनी जान गंवा दी। घटना क्यों हुई इसकी जांच के लिए बोर्ड ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए गए हैं। नेवी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान ने बहादुरी से फायरफाइटर्स को लीड किया। उनकी वजह से ही आग पर काबू पाया जा सका। धुंए की वजह से वह बेहोश हो गए। उन्हें नेवी के अस्पताल आईएनएचएस पतंजलि ले जाया गया और उन्हें बचाने की काफी कोशिशें की गईं। लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुके थे। आईएनएस विक्रमादित्य को आईएनएस गोर्शकोव के नाम से भी जाना जाता है। भारत से पहले रूस ने सन 1987 में इसे बाकू के नाम से कमीशंड किया था। 2.35 बिलियन डॉलर की डील के साथ भारत ने इसे रूस से खरीदा है। आईएनएस विक्रमादित्य को भारत ने 20 जनवरी 2004 में खरीदा था। इस शिप ने जुलाई 2013 में अपने सभी ट्रायल्स को सफलतापूर्व पूरा कर लिया था। 16 नवंबर 2013 को सेवेरोडविंस्क, रूस में हुए एक समारोह में यह औपचारिक तौर पर इंडियन नेवी का हिस्सा बन गई। साल 2014 में यह आधिकारिक तौर पर इंडियन नेवी का हिस्सा बना था। इसका बेस कर्नाटक का कारवार जिला है।