अगर आपको पैसे की जरूरत है। अपनी बेटी की शादी के लिए रुपया चाहिए या फिर व्यवसाय चलाने के लिए धन चाहिए तो परेशान न हों, यहां आइए और रुपए ले जाइए। जी हां, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में एक गांव झांसड़ी में एक ऐसा ही बैंक है।
हनुमान जयंती 2019 स्पेशल स्टोरी
इस बैंक से लोन लेने के लिए किसी गारंटी की भी जरूरत नहीं। बस, पैसा मांगिए मिल जाएगा और फिर आपका काम हो जाने के बाद ईमानदारी से लौटा दीजिए। यहां से लिया गया पैसा दो गुना, चार गुना नहीं, कई गुना हो जाएगा। यही इस बैंक का चमत्कार है। 19 अप्रैल 2019 को हनुमानजी जयंती (hanuman jayanti 2019) है। इस मौके पर जानिए राजस्थान के अनूठे हनुमान मंदिर के बारे में।
प्रतापगढ़ जिले के झांसड़ी गांव का यह बैंक है-द रिजर्व बैंक ऑफ रोकड़िया हनुमानजी। रोकड़ा यानि नगद रुपया। रोकड़िया का मतलब खजांची। इस बैंक के खजांची हैं स्वयं हनुमानजी। दाढ़ी वाले हनुमानजी। ये हनुमानजी झांसड़ी गांव के बाहर स्थित रोकड़िया हनुमान मंदिर में विराजमान हैं। रोकड़िया हनुमानजी की इसी विशेषता के कारण दूर-दूर तक इनकी महिमा फैली है। बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और धन की कामना करते हैं। रोकड़िया हनुमानजी अपने भक्तों की आर्थिक समस्या का हल करते हैं। उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
हनुमानजी की जेब कटने के बाद चमत्कार बंद
मंगलवार और शनिवार के दिन तो यहां श्रद्धालुओं का मेला-सा लग जाता है। भक्त लोग यहां रोकड़िया हनुमानजी की पूजा-अर्चना करते हैं, सुंदर काण्ड का पाठ करते हैं। बैक के इस खजांची रोकड़िया हनुमानजी का खजाना उनके पेट में छिपा है। पेट पर एक जेब है। कहा जाता है कि किसी समय जब भी किसी को जरूरत पड़ती तो जेब में हाथ डालकर रोकड़ा निकाल लेता था। एक बार किसी चोर ने रोकड़िया हनुमानजी की जेब काटनी चाही, लेकिन उसका हाथ जेब में ही फंस गया। काफी क्षमा-याचना के बाद ही चोर का हाथ जेब से बाहर निकल पाया। इसके बाद से यहां हनुमानजी की जेब से रुपए मिलने का चमत्कार बंद हो गया।
झांसड़ी गांव का नाम गंधर्व नगर था
कवि हरीश व्यास बताते हैं कि प्राचीन काल में इस झांसड़ी गांव का नाम गंधर्व नगर था। इस प्राचीन नगरी के नष्ट होने के पीछे एक कहानी कही जाती है। किसी समय यहां के राजा गंधर्वसेन की एक लड़की थी। राजा को स्वप्न आया कि वह अपनी राजकुमारी की शादी एक गधे से कर दे, वरना सुबह उसका पूरा नगर नष्ट हो जाएगा। राजा भला अपनी राजकुमारी को नर्क में कैसे झोंक देता। पूरा नगर नष्ट हो गया, लेकिन यहां स्थित रोकड़िया हनुमानजी का बाल भी बांका नहीं हुआ।
दूसरे पांव का कहीं छोर नहीं मिलता
कहा जाता है कि हनुमानजी की यह विशाल प्रतिमा स्वयंभू हैं। इन्हें यहां किसी ने स्थापित नहीं किया है। यह प्राकृतिक रूप से सैकड़ों बरसों से यहीं स्थित है। इनका एक पांव नजर आता है, लेकिन दूसरे पांव का कहीं छोर नहीं मिलता। रोकड़िया हनुमानजी ने अपने भक्तों को इतना कर्ज दिया है कि भक्तों ने मिलकर यहां एक करोड़ रुपए से अधिक की लागत में भव्य मंदिर बना दिया है।