रायपुर। बस्तर के बीजापुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेसी विधायक राजेंद्र पामभोई के चचेरे भाई सुरेंद्र पामभोई के ट्रांसफर के लिए मंत्री कवासी लखमा ने एसपी जितेंद्र शुक्ला को पत्र लिखा था। एसपी ने मंत्री के आदेश को मानने से इंकार ही नहीं किया, मंत्री की सिफारिश से बिफर कर पामभोई को और दूर घनघोर नक्सल थाने मरईगुड़ा भेज दिया।
यहीं से बस्तर के एकमात्र आदिवासी मंत्री लखमा और सुकमा के तत्कालीन एसपी जितेंद्र शुक्ला में ठन गई और आखिरकार शुक्ला को हटना पड़ा। मामला तब और गरमा गया जब शुक्ला ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अपने स्थानांतरण को अप्रत्याशित बताया और देशभक्ति, नक्सल आदि के नाम पर भावनात्मक संदेश जनता को प्रसारित किया। उनके इस पोस्ट को सरकार की अवहेलना के तौर पर देखा जा रहा है।
मैं पांच बार का विधायक, मंत्री…मैं बाहरी हो गया
सुकमा एसपी शुक्ला के स्थानांतरण के बाद मचे विवाद के बीच ‘नईदुनिया” से बातचीत में मंत्री लखमा ने कहा मैंने पत्र लिखा क्योंकि पामभोई के रिश्तेदार की बात थी। वह सालों से फूलबगड़ी जैसे धुर नक्सल प्रभावित जंगल में पदस्थ था। अब हमारी सरकार है तो क्या हम उसे सड़क के किनारे के किसी थाने में नहीं ला सकते।
मैं उससे कभी नहीं मिला लेकिन जब पामभोई की बात आई तो पत्र लिखा। एसपी चाहते तो करते या न करते। कह देते कि अभी संभव नहीं है। लेकिन उन्होंने पत्र लिखा और उनकी भाषा देखिए। लिखते हैं कि बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप उचित नहीं है। मैं वहां से पांच बार का विधायक हूं। अभी राज्य सरकार में मंत्री हूं। मैं बाहरी हो गया। एसपी ने पामभोई को फूलबगड़ी से और दूर मरईगुड़ा भेज दिया।
गोडेलगुड़ा फर्जी मुठभेड़ के समय भी हुआ था टकराव
मंत्री लखमा ने बताया कि सुकमा जिले के गोडेलगुड़ा गांव में फोर्स ने 2 फरवरी को जंगल में लकड़ी लेने गई दो महिलाओं पर फायरिंग कर दी। एक महिला की मौत हो गई और दूसरी घायल। गांव वालों ने बताया कि जिस महिला की मौत हुई है उसके चार बच्चे हैं जिनमें एक तो आठ माह का ही है।
फर्जी मुठभेड़ में लीपापोती करने का प्रयास एसपी करते रहे। मैं पीड़ित परिवारों को सहायता देना चाहता था तो एसपी बोले-ऐसे तो फोर्स बदनाम हो जाएगी। मंत्री बनने के बाद भोजराजपदर गांव के लोग मेरे पास शिकायत लेकर आए थे कि उनके गांव के चार लोगों को पुलिस ने महीने भर से अवैध हिरासत मेें रखा है। उन्हें छोड़ने को कहा था लेकिन नहीं छोड़ा।
तो क्या अफसरशाही चलने दें
लखमा बोले देश में लोकतंत्र है। कोई राष्ट्रपति शासन नहीं लगा है। अफसर मनमानी नहीं कर सकते। आदिवासियों के अधिकारों का हनन यह सरकार नहीं होने देगी।
कौन हैं पामभोई
राजेंद्र पामभोई बीजापुर सीट से दो बार विधायक रहे। वे छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की सरकार के समय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे।
सोशल मीडिया पर लेटरवार
मंत्री लखमा और एसपी शुक्ला के बीच चला लेटरवार अब सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। मंत्री लखमा ने एसपी को दो लाइन का पत्र लिखा था। इसमें आदेश दिया गया था कि सुरेंद्र पामभोई को थाना छिंदगढ़ या तोकापाल का थाना प्रभारी बनाकर, कार्रवाई से अवगत कराएं।
इसके जवाब में एसपी शुक्ला ने लिखा-कानून व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपी की होती है, जो अपने अधीनस्थ थाना प्रभारियों के माध्यम से करता है। यह पुलिस अधीक्षक का विशेषाधिकार है कि किसे थाना प्रभारी नियुक्त करे या हटाए। एसपी के कार्य में किसी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप करना या प्रभाव डालना उचित नहीं है। इसलिए सुरेंद्र पामभोई को थाना प्रभारी बनाना उचित नहीं है।
शुक्ला के समर्थन में आए जोगी
उधर, सुकमा के पूर्व एसपी शुक्ला के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी खड़े हो गये हैं। जोगी ने राज्य सरकार की निंदा करते हुए ट्रांसफर उद्योग को बंद करने की मांग की है। जोगी ने कहा है कि इतने बड़े पैमाने पर तबादले अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अधिकारियों एवं कर्मचारियों को व्यापक स्थानांतरण करके अनावश्यक मुसीबतों में डाला जा रही है। सोच समझकर जितने स्थानांतरण विभाग में आवश्यक होते हैं, उन्हें हरसंभव एक ही आदेश के द्वारा कार्यान्वित किया जाना चाहिये।
बदले की भावना से हो रहे तबादले : भाजपा
सुकमा के तत्कालीन एसपी शुक्ला को हटाने का मामला गरमाता जा रहा है। अब राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने की कोशिश की है। एक मंत्री को पत्र लिखने पर सुकमा के एसपी का तबादला किए जाने पर भाजपा ने दोहराया है कि प्रदेश सरकार प्रशासन को आतंकित कर अपनी मनमानी करना चाहती है।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि प्रदेश सरकार जिस तरह पुलिस प्रशासन को प्रताड़ित कर रही है, उससे यह साबित हो रहा है कि प्रदेश सरकार बदलापुर की राजनीति के अपने एजेंडे पर काम कर रही है। रोज-रोज पुलिस अधिकारियों का इस तरह तबादला करके प्रदेश के मुख्यमंत्री यह जाहिर कर रहे हैं कि सरकार चलाने कि उनमें समझ नहीं है।
कौशिक ने कहा कि थोक के भाव किए जा रहे तबादले पर भाजपा के विरोध को मानसिक दीवालियापन बताकर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा था कि किए जा रहे तबादले कोई दंड नहीं है। लेकिन सुकमा एसपी को स्थानांतरित करते हुए सीएम बघेल ने स्वीकार किया है कि मंत्री को पत्र लिखने के कारण दंडस्वरूप सुकमा के एसपी को हटाया गया है।
कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री की यह स्वीकारोक्ति इस बात की परिचायक है कि पुलिस प्रशासन के साथ-साथ अन्य विभागों में तबादले दंडस्वरूप ही किए गए हैं। घरघोड़ा के थाना प्रभारी का इस्तीफा प्रदेश सरकार के इसी अपमानजनक रवैए को रेखांकित करता है, जिसे सीएम बघेल के सिपहसालार झुठलाकर भ्रम फैला रहे हैं।