रायपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ‘मिशन-11″ को पूरा करने के लिए पार्टी के सभी मोर्चा-संगठन अपनी कमर कस रहे हैं। सभी को अपने-अपने वर्ग के वोट बैंक को फोकस करने के लिए कहा गया है। किसान बड़ा वोट बैंक है, जिस पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है।
इस कारण किसान कांग्रेस पर बड़ी चुनौती है कि वह किसानों के वोट को कांग्रेस की झोली में कैसे लाए? इसकी रणनीति बनाने के लिए बुधवार को किसान कांग्रेस की बैठक रखी गई है, जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और किसान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी एक कोद्दना रेड्डी भी शामिल होंगे।
विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने किसानों से वादा किया था कि सरकार बनते ही 10 दिन के भीतर किसानों का कर्जमाफ कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ लेने के बाद दो घंटे के भीतर मंत्रिमंडल की बैठक में कर्जमाफ का प्रस्ताव पास कर दिया था। अब सरकार और कांग्रेस का दावा है कि 19 लाख किसानों को 11 हजार 270 करोड़ कर्जमाफ किया है। इसमें पांच हजार करोड़ व्यवसायिक बैंकों का कर्ज है।
कर्जमाफी की घोषणा तो हो गई है, लेकिन अभी शत-प्रतिशत किसानों तक कर्जमाफी का प्रमाणपत्र नहीं पहुंचा है। भाजपा इसे ही मुद्दा बनाकर कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ने की कोशिश करेगी। किसान कांग्रेस ने तय किया है कि प्रमाणपत्र के वितरण की निगरानी की जाए, ताकि भाजपा अपने मिशन में सफल न हो पाए।
बुधवार को दोपहर तीन बजे राजीव भवन में होने वाली बैठक में इस पर भी बात होगी। किसान कांग्रेस किसान वोट बैंक को साधने के लिए किसानों के बीच जाएगी और प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में अब तक जो भी काम किए हैं, उनका प्रचार-प्रसार भी करेगी। बैठक में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ला के साथ सभी प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष भी उपस्थित रहेंगे।
एक्शन प्लान और जिम्मेदारी पर होगी बात
बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए किसान कांग्रेस के एक्शन प्लान की समीक्षा होगी। बूथ, ब्लॉक, जिला और प्रदेश कमेटी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। अब तक चुनाव को लेकर जिला और ब्लॉक कमेटी ने जो काम किए, उसकी समीक्षा की जाएगी। शक्ति प्रोजेक्ट से किसानों को जोड़ा जा रहा है, उसकी जानकारी ली जाएगी। संकल्प शिविर में किसान कांग्रेस की भागीदारी की समीक्षा की जाएगी।