Home समाचार चुनाव से ठीक पहले देश में महंगाई बढ़ी, इंडस्ट्री ग्रोथ गिरी

चुनाव से ठीक पहले देश में महंगाई बढ़ी, इंडस्ट्री ग्रोथ गिरी

31
0

फरवरी में खुदरा महंगाई बढ़कर 4 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. पिछले महीने खुदरा महंगाई माह दर माह के आधार पर बढ़कर 2.57 फीसदी दर्ज की गई. जनवरी में यह 1.97 फीसदी थी. इससे पहले खुदरा महंगाई का 2.33 फीसदी का आकड़ा नवंबर 2018 में देखा गया था. वहीं, खुदरा महंगाई के साथ ही जनवरी माह का इंडिस्ट्रयल प्रॉडक्शन का आंकड़ा भी जारी कर दिया गया. जनवरी में इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन की ग्रोथ रेट घटकर 1.7 फीसदी पर आ गई. दिसंबर 2018 में यह 2.4 फीसदी के स्तर पर थी.

दाल, अनाज और सब्जियों की महंगाई
>> फरवरी में खुदरा खाद्य महंगाई -2.24 फीसदी से बढ़कर -0.66 फीसदी हो गई है.
>> अनाज की महंगाई 0.8 फीसदी से बढ़कर 1.32 फीसदी और सब्जियों की महंगाई -13.3 फीसदी से बढ़कर -7.69 फीसदी हो गई.
>> फ्यूल, बिजली की महंगाई 2.2 फीसदी घटकर 1.4 फीसदी पर आ गई.इंडस्ट्री ग्रोथ में आई गिरावट
>> जनवरी में इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट दिसंबर के 2.6 फीसदी से घटकर 1.7 फीसदी पर आ गई है.
>> ग्रोथ की बात करें तो महीने दर महीने आधार पर जनवरी में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ -1 फीसदी के बढ़कर 3.9 फीसदी रही है, वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 2.7 फीसदी से घटकर 1.3 फीसदी पर आ गई है.
>> महीने दर महीने आधार पर जनवरी में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ 4.4 फीसदी से घटकर 0.8 फीसदी रही है. वहीं प्राइमरी गुड्स की ग्रोथ -1.2 फीसदी से बढ़कर 1.4 फीसदी रही है.
>> महीने दर महीने आधार पर जनवरी में कैपिटल गुड्स सेक्टर की ग्रोथ 5.9 फीसदी से घटकर -3.2 फीसदी रही है. वहीं इसी अवधि में इंटरमीडियेट गुड्स की ग्रोथ -1.5 फीसदी से घटकर -3 फीसदी रही है.
>> महीने दर महीने आधार पर जनवरी में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर की ग्रोथ 2.9 फीसदी से घटकर 1.8 फीसदी रही है. वहीं कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स की ग्रोथ 5.3 फीसदी से घटकर 3.8 फीसदी रही है.

महंगाई दर का अर्थव्‍यवस्‍था पर क्‍या होता है असर- महंगाई दर का असर अर्थव्‍यवस्‍था पर दो तरह से होता है. अगर महंगाई दर बढ़ती है तो बाजार में वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं और लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाती है. वहीं यदि महंगाई दर घटती है तो बाजार में वस्तुओं के दाम घट जाते और लोगों की खरीदने की क्षमता बढ़ जाती है. महंगाई के बढ़ने और घटने का असर सरकार की नीतियों पर भी पड़ता है. आरबीआई भी ब्याज दरों में बदलाव के लिए महंगाई के आधार पर फैसला लेता है.

क्‍या है रीटेल महंगाई दर- रीटेल महंगाई दर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) वह महंगाई दर है जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है और खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है. भारत में रीटेल महंगाई दर खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 45 फीसदी के करीब है. दुनिया भर में ज्यादातर देशों में रीटेल महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीतियों तय होती हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here