Home विदेश ट्रंप की नीतियों के खिलाफ अमेरिका के सपनों के शहर में फूटा...

ट्रंप की नीतियों के खिलाफ अमेरिका के सपनों के शहर में फूटा इमिग्रेशन बम, 9 लाख अवैध प्रवास‍ियों को बाहर निकाल पाएगा US?

25
0

वॉशिंगटन – अमेरिका के लॉस एंजिल्स को हॉलीवुड, समुद्र तटों और सितारों का शहर कहा जाता है। इसे सपनों का शहर भी कहते हैं। लेकिन पिछले हफ्ते से इस चमकते शहर की सड़कें आंसू गैस के गोले, विरोध प्रदर्शनों और पुलिस की बूटों की धमक से गूंज रही हैं। इसके पीछे की वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशासन की तरफ से लागू की गई अब तक की सबसे सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी है, जिसने अमेरिका के सबसे दिलचस्प रंगों वाले इस शहर में उबाल भर दिया है। लॉस एंजिल्स में अमेरिका के सबसे अमीर और ताकतवर लोग रहते हैं, लेकिन ये शहर इन दिनों जल रहा है। ऐसे में लोगों में जानने की दिलचस्पी है कि आखिर इसी शहर में इमिग्रेशन का बम क्यों फूटा है? इस सवाल का जवाब शहर के नस्लीय, जातीय और जनसांख्यिकीय स्वरूप में छिपा है।

अमेरिकी जनगणना के मुताबिक लॉस एंजिल्स काउंटी, जो दक्षिणी कैलिफोर्निया के 4,000 वर्ग मील क्षेत्र में फैली हुई है, करीब 1 करोड़ लोगों का घर है। यानी पूरे कैलिफोर्निया की 27% आबादी यहीं रहती है। अमेरिकी जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से लगभग एक-तिहाई यानी 33% लोग विदेशी मूल के हैं। लॉस एंजिल्स शहर, जो प्रदर्शन के केन्द्र में है, वहां करीब 39 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से करीब 35 प्रतिशत से ज्यादा अमेरिका से बाहर पैदा हुए हैं। कुल मिलाकर लॉस एंजिल्स में कुल 9 लाख से ज्यादा लोगों की आबादी अवैध अप्रवासी है, यानि इनके पास अमेरिका में रहने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर एक दशक से ज्यादा समय से अमेरिका में रह रहे हैं। इसके अलावा हर पांच घर में से एक घर ऐसा है, जो बिना दस्तावेज के रह रहा है।

लॉस एंजिल्स में क्यों फूटा इमिग्रेशन बम?
यूएसए टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉस एंजिल्स के आधे से ज्यादा विदेशी मूल के निवासी प्राकृतिक नागरिक हैं। लॉस एंजिल्स के 18 लाख से ज्यादा निवासी हिस्पैनिक या लैटिनो हैं, जबकि करीब 5 लाख लोग एशियाई, मूल निवासी हवाईयन या अन्य प्रशांत द्वीपवासी हैं। करीब 16-17 लाख लोग कहते हैं कि वे “किसी दूसरी जाति” के हैं, और उनमें से 5 लाख से ज्यादा लोग दो या उससे ज्यादा जातियों से पहचान करते हैं। शहर में 56 प्रतिशत से ज्यादा लोग घर पर अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषा बोलते हैं, मुख्य रूप से स्पेनिश। इस तरह से इस प्रकार लॉस एंजिल्स अमेरिका का शायद सबसे विविध शहर बन गया है और शायद यही वजह है कि ट्रंप की पॉलिसी के खिलाफ सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन यहीं हो रहा है।

लॉस एंजिल्स में विरोध प्रदर्शन कैसे शुरू हुआ?
विरोध प्रदर्शन की शुरूआत शुक्रवार को उस वक्त हुई जब इमिग्रेशन और कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) अधिकारियों ने शहर के उन इलाकों में छापेमारी की जहां लैटिनो आबादी ज्यादा है। इन छापों के दौरान दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनके बारे में अधिकारियों का कहना है कि वे अवैध प्रवासी और गिरोह के सदस्य हैं। शहर के निवासियों ने गिरफ्तारियों का जवाब नारे लगाकर और अंडे फेंककर देना शुरू किया, जिसके बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने मिर्च स्प्रे और गैर-घातक गोला-बारूद का इस्तेमाल करके भीड़ को तितर-बितर कर दिया। लेकिन धीरे धीरे ये प्रदर्शन हिंसक होता चला गया। ये विरोध प्रदर्शन पिछले पांच दिनों से चल रहे हैं, जो शहर के केंद्र और पैरामाउंट के लैटिनो उपनगर तक फैल गए हैं। कुछ इलाकों में कर्फ्यू जैसी स्थिति है। ये विवाद तब और बढ़ गया जब वाइट हाउस ने लॉस एंजिल्स में 700 मरीन और 4,000 नेशनल गार्ड्स तैनात कर दिए। इसे लेकर डेमोक्रेटिक नेता खासे आक्रोशित हैं। कैलिफोर्निया की गवर्नर गेविन न्यूसम ने इस तैनाती को “गैर-संवैधानिक आंतरिक सैन्यीकरण” करार दिया है।

ट्रंप प्रशासन, जिसने जनवरी 2025 में अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के नाम पर वोट बटोरे, उसने बार बार कसम खाई है कि अमेरिका को ‘अवैध प्रवासियों से मुक्त’ कर दिया जाएगा। इसका मतलब है अमेरिका के इस शहर में हर दिन 3 हजार लोगों को गिरफ्तार करना होगा। सिटी हॉल के सामने जुटे प्रदर्शनकारियों में से एक मैक्सिको मूल की महिला लूसिया रामोस ने कहा कि “मैं 15 साल से अमेरिका में रह रही हूं। तीन बच्चों की मां हूं। टैक्स देती हूं, नौकरी करती हूं, फिर भी मेरे लिए यहां कोई सुरक्षा नहीं है?” लूसिया अकेली नहीं हैं। हजारों लोग जो दशकों से अमेरिका में रह रहे हैं वो आज डर में जी रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके पास कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। अमेरिकी मामलों के कुछ जानकारों का कहना है कि ट्रंप का ये फैसला उल्टा भी पड़ सकता है और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में यह कदम ट्रंप विरोधी लहर को और भड़का सकता है। लातिनो, एशियन और यंग वोटर बेस को यह सीधे तौर पर प्रभावित करता है, जो 2026 के मिड-टर्म चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।