Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ में रंग लाई सुरक्षा बलों की मेहनत – 40 साल बाद...

छत्तीसगढ़ में रंग लाई सुरक्षा बलों की मेहनत – 40 साल बाद नक्सलमुक्त हुआ अपना बस्तर, केंद्र सरकार ने हटाया नाम

25
0

रायपुर – छत्तीसगढ़ में आखिरकार सुरक्षा बलों की मेहनत रंग लाई है। करीब 40 साल से नक्सलवाद का शिकार रहा छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला ‘नक्सलमुक्त’ घोषित कर दिया गया है। यह ऐलान खुद केंद्र सरकार ने किया है। बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सूची (एलडब्ल्यूई) से हटा दिया गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद बस्तर को अब आधिकारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित कर दिया गया है। यह छत्तीसगढ़ राज्य और विशेषकर बस्तर के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

बीते वर्षों में सुरक्षा बलों, राज्य सरकार और स्थानीय जनता के संयुक्त प्रयासों से बस्तर में शांति की बहाली हुई है। लगातार चल रहे विकास कार्य, सड़क निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और प्रशासन की सक्रियता ने बस्तर को नक्सलवाद से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई है।

केंद्र सरकार की ओर से एलडब्ल्यूई सूची से नाम हटाए जाने के फैसले से क्षेत्र में निवेश और विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है। इससे न सिर्फ बस्तर की छवि बदलेगी, बल्कि रोजगार और पर्यटन के अवसरों में भी भारी वृद्धि होगी। छत्तीसगढ़ समेत बस्तरवासियों के लिए यह फैसला न केवल गर्व का विषय है, बल्कि आने वाले समय में स्थायी शांति और प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

माओवादियों के महासचिव समेत कई इनामी नक्सली मारे गये
करीब चार दशक तक सुरक्षाबलों ने बस्तर संभाग में नक्सलियों से लोहा लिया। कई मुठभेड़ में नक्सली संगठन के महासचिव बसवराजू समेत कई इनामी नक्सली मारे गये। इससे बस्तर संभाग में नक्सली संगठन पूरी तरह से कमजोर हुआ है। फोर्स के लगातार नक्सल ऑपरेशन और सर्चिग चलाये जाने से बस्तर में उनकी कमर टूट गई है। कई बड़े नक्सल कमांडरों को मारे जाने के बाद अब केंद्र सरकार ने यह घोषणा की है।

बस्तर अब एलडब्ल्यूई जिले की सूची से बाहर
केंद्र ने नक्सल प्रभावित जिले बस्तर को अब (एलडब्ल्यूई) जिले की सूची से बाहर कर दिया है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बस्तर को वामपंथी उग्रवाद (LWE– Left Wing Extremism) से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है। हालांकि बस्तर संभाग के कुछ जिले अभी भी नक्सल प्रभावित हैं। इस फैसले के साथ ही बस्तर जिला अब आधिकारिकतौर पर नक्सलमुक्त घोषित कर दिया गया है।

1980 के दशक में पनपा नक्सलवाद 
बस्तर में 1980 के दशक से ही नक्सलवाद पनप रहा था और यह इस कदर बढ़ा कि पूरे जिले के विकास को ही अवरुद्ध कर दिया। नक्सलियों ने स्कूल, कॉलेज, सामाजिक भवन,अस्पताल समेत कई सरकारी इमारतों को नेस्तानाबूद कर दिया। सड़कों को खोदकर आवागजन प्रभावित कर दिया। स्थानीय लोगों को मूलभूत सविधाओं से वंचित कर दिया। ताकि यहां की भावी पीढ़ी हर तरह की सुविधाओं से वंचित हो जाये। नक्सली राज्य सरकार के समानांतर अपनी जनताना सरकार चलाना चाहते थे। ऐसे में केंद्र सरकार के मदद से सुरक्षाबलों ने ‘नक्सल विरोधी’ अभियान शुरू किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश को नक्सलमुक्त करने के संकल्प के बाद प्रदेश में पिछले डेढ़ साल में एक के बाद एक कई नक्सली एनकाउंटर हुए और सैकड़ों की संख्या में नक्सलियों का खात्मा हुआ। ऐसे में कई नक्सलियों ने मुख्यधारा में प्रवेश करना सही सही समझा। उन्हें नक्सल पुनर्वास नीति के तहत हर तरह की सहायता दी गई। इसका सुखद परिणाम यह निकला है कि अब बस्तर नक्सलवाद से पूरी तरह से आजाद हो चुका है।

इस तरह घटा नक्सलियों का आंकड़ा
गृह मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2018 में देशभर में 126 नक्सल प्रभावित जिले थे, जो जुलाई 2021 में घटकर 70 हुए और अप्रैल 2024 तक यह संख्या  38 तक पहुंच गई । सबसे अधिक गंभीर रूप से प्रभावित जिलों की संख्या भी 12 से घटकर अब 6 रह गई है। बस्तर संभाग में कुल 7 जिले आते हैं। इसमें बस्तर (मुख्यालय जगदलपुर), कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोंडागांव जिले आते हैं।
इन 7 राज्यों से लगती है छत्तीसगढ़ की सीमा
छत्तीसगढ़ जिले की सीमा उत्तर दिशा में उत्तर प्रदेश, उत्तर पश्चिम दिशा में मध्य प्रदेश, दक्षिण पश्चिम दिशा में महाराष्ट्र, उत्तर पूर्वी दिशा में झारखंड, पूर्वी दिशा में ओडिशा और दक्षिण दिशा में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से से लगती है। इनमें कई बॉर्डर पर नक्सली सक्रिय हैं, जिनका खात्मा करने के लिए फोर्स के जवान लगातार सर्चिग कर रहे हैं।अमर उजाला