धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर उसके चारों ओर कच्चे धागे से 108 बार परिक्रमा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. महिलाएं बरगद के पेड़ को गले लगाकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. साथ ही महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं.
रायपुर – नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ वट सावित्री व्रत महिलाओं ने किया. इसके साथ ही पीपल पेड़ का 108 बार परिक्रमा भी किया. परिक्रमा के हर चक्र पूरा होने पर सुहागिनों ने अपने पति के लंबी उम्र की कामना की, महिलाओं ने बताया कि अबकी तो वट सावित्री के दिन ही सोमवती अमावस्या है. इसलिए यह दोहरा खुशी का दिन है. महिलाओं में सुबह से ही पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने का उत्साह देखने को मिला. इधर पं. अरविन्द मिश्रा ने बताया कि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से ज्येष्ठ माह की अमावस्या की तिथि की शुरुआत हो रही है, जो कि 27 मई की सुबह 8:31 मिनट तक रहेगी. वहीं उदय तिथि के अनुसार 26 मई को वट सावित्री का व्रत रखा गया है. इस बार वट सावित्री व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:01 बजे से लेकर दोपहर 3:30 बजे तक रहेगा.
हमारे देश में पेड़ों, नदियों और पहाड़ों की पूजा करना प्राचीन परंपरा रही है. सोमवार को जेष्ठ महीने के अमावस्या को पति के दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य और परिवार की समृद्धि के लिए महिलाओं ने व्रत रखते हुए वट वृक्ष के नीचे वट सावित्री की पूजा अर्चना की. वट सावित्री पूजा के लिए सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी. सुबह से ही सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा कर धागा लपेटकर पूजा सामग्रियों को चढ़ाकर आरती किया. पूजा अर्चना के दौरान महिलाएं सावित्री सत्यवान की कथा सुना. वही पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखा.
सुहागन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा श्रद्धा और भक्ति भाव से सोमवार को करते हुए आशीर्वाद मांगा. ऐसा माना जाता है कि सुहागन महिलाओं द्वारा ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत की पूजा की जाती है. मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों में शिव का वास होता है और लटकती शिराओं में सावित्री का निवास है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.