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पीता था इंसानी भेजे का सूप, 14 मानव खोपड़ियां मिलीं…कहानी सीरियल किलर राजा कलंदर की, जिसे 25 साल बाद मिलेगी सजा

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक खतरनाक अपराधी सीरियल किलर, नरभक्षी और खोपड़ी संग्रहकर्ता राजा कोलंदर और उसके साले बच्छराज कोल को किडनैपिंग और डबल मर्डर मामले में लखनऊ की कोर्ट ने दोषी करार दिया. दोनों की सजा की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी.

लखनऊ – उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक खतरनाक अपराधी को हत्या के मामले में दोषी पाया गया है. अपराधी का नाम राजा कोलंदर है. सीरियल किलर, नरभक्षी और खोपड़ी संग्रहकर्ता राजा कोलंदर को साल 2000 में हुए एक डबल मर्डर मामले में सोमवार को लखनऊ की कोर्ट ने दोषी करार दिया. जज रोहित सिंह शुक्रवार को उसकी सजा की घोषणा करेंगे.

बताया जा रहा है कि राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और उसके साले बच्छराज कोल को 22 साल के मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की किडनैपिंग और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया है. राजा कोलंदर और उसके साले बच्छराज को इससे पहले पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या का दोषी पाया गया था. इस मामले में राजा के फार्महाउस से 14 मानव खोपड़ियां बरामद की गई थीं. इस मामले में दोनों को आजिवन कारावास की सजा हुई थी.

इंसान के भेजे का पीता था सूप

इसके बाद राजा कोलंदर के नरभक्षी होने और खोपड़ी का संग्रह करने की बात पता चली. राजा कोलंदर पर आरोप लगा है कि वह सिर काटकर ले जाकर वह इंसान के भेजे का सूप बनाता और पीता था. बता दें कि राजा कोलंदर और उसके साले पर 25 साल पहले वर्ष 2000 में डबल मर्डर का मामला दर्ज किया गया था. इस मामले की शिकायत मनोज कुमार सिंह के पिता शिव हर्ष सिंह दर्ज कराई थी.

25 साल बाद होगी सजा

पुलिस ने 21 मार्च 2001 को चार्जशीट भी दाखिल की, लेकिन कानूनी पेचिदगियों के कारण मामले की सुननवाई शुरू नहीं हो सकी. इस मामले की सुनवाई शुरू हुई साल 2013 में. जानकारी के अनुसार, मनोज कुमार सिंह और उनका ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी साल 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे. उन्होंने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को बिठाया. इसमें एक महिला भी थी.

शंकरगढ़ में मिला था शव

आखिरी बारउनकी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में चाय की दुकान पर मिली थी. वहां से वो लापता हो गए. तीन दिन तक जब उनका कोई पता नहीं चला तो नाका थाने उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई गई. दोनों को तलाश करने बाद भी उनका पता नहीं चल पाया. बाद में दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से मिले. सरकारी वकील ने बताया कि मामले में 12 गवाहों की गवाही ली गई. इसमें सबसे महत्वपूर्ण गवाह शिव हर्ष के भाई शिव शंकर रहे.

उनकी जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि यह अपराध पहले से योजनाबद्ध था. इसमें अपहरण, लूट और हत्या शामिल थी. शिव शंकर सिंह ने गवाही में बताया कि उनकी मनोज और रवि से हरचंदपुर में बात हुई थी. उन्होंने मनोज की एक भूरी कोट का भी आरोपी के घर से पहचान किया. बताते चले किं राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ का रहने वाला है. उसका असली नाम राम निरंजन कोल है. वह नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में कर्मचारी था.