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भारत से तनाव बढ़ने के बाद पाकिस्तान के शेयर बाजार में भारी गिरावट

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इस्लामाबाद – पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच बृहस्पतिवार को पाकिस्तान के शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई. मानक सूचकांक केएसई-100 2206.33 अंकों की गिरावट के साथ 115,019.81 पर बंद हुआ.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों की गोलीबारी में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. यह 2019 में पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला था.

पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने इस नृशंस हमले की जिम्मेदारी ली है. इस हमले के बाद भारत की तरफ से उठाए जा रहे सख्त कदमों से तनाव बढ़ने का पाकिस्तान शेयर बाजार (पीएसएक्स) को झटका लगा और केएसई-100 सूचकांक कारोबारी सत्र की शुरुआत में 2,485 अंक गिरकर 114,740 अंक पर आ गया था.

हालांकि सत्र आगे बढ़ने के साथ बाजार में मामूली सुधार के संकेत दिखे और गिरावट कम होकर 1196 अंक पर आ गई. कारोबार के अंत में यह 2,206.33 अंक यानी 1.92 प्रतिशत की गिरावट के साथ 115,019.81 पर बंद हुआ. इसी साल बाजार ने 120,000 अंक को पार करते हुए अब तक के उच्चतम स्तर को छुआ था, जिसके बाद यह तेज गिरावट आई है. विश्लेषकों ने कहा कि भारत के साथ मौजूदा राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति में सुधार के संकेत मिलने तक बाजार में मंदी का रुख हावी रहने की संभावना है.

भारत-पाक व्यापार पहले ही नगण्य; अब पूरी तरह ठप हो जाएगा: फियो

भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे देशों के रास्ते होने वाले व्यापार सहित सभी व्यापारिक संबंधों को निलंबित करने से द्विपक्षीय कारोबार अब पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा. निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने बृहस्पतिवार को यह बात कही. आमतौर पर भारत से पाकिस्तान को माल दुबई बंदरगाह के रास्ते पहुंचाया जाता है. पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने कई सख्त कदम उठाए, जिसमें अटारी भूमि-पारगमन चौकी को तत्काल बंद करना भी शामिल है. इस चौकी का उपयोग कुछ सामानों की आवाजाही के लिए किया जाता है.

इस भीषण आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे. 2019 में पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी में यह सबसे घातक हमला था. भारत ने पाकिस्तानी सैन्य अताशे को निष्कासित करने और 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने की भी घोषणा की है. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले मार्गों सहित भारत के साथ ”सभी व्यापार” को निलंबित करने की घोषणा की है.

पड़ोसी देश के इस निर्णय पर भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार नगण्य है और यह भारत के कुल व्यापार का मात्र 0.06 प्रतिशत है. रल्हन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”पाकिस्तान के साथ हमारा व्यापार बहुत कम है, जो लगातार घट रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जनवरी अवधि में यह 50 करोड़ डॉलर भी नहीं था, जबकि इसी अवधि में भारत का कुल व्यापार 800 अरब डॉलर से अधिक रहा था. बदले हुए हालात में व्यापार अब पूरी तरह से ठप हो जाएगा, जिससे पाकिस्तान को कुछ प्रमुख उत्पादों की आपूर्ति प्रभावित होगी. इससे उनकी अर्थव्यवस्था को और नुकसान होगा.” वहीं आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत ने नए सिरे से तनाव के बीच पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा बंद कर दी है, जिससे 2019 में पुलवामा हमले के बाद पहले से ही ठप पड़ा व्यापार पूरी तरह से बंद हो जाएगा.

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ”आधिकारिक माध्यमों के अवरुद्ध हो जाने से अनुमानित 10 अरब डॉलर का व्यापार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) या सिंगापुर के माध्यम से पुन? निर्यात के माध्यम से ही बचा रह जाता है. ” पाकिस्तान को भारत का निर्यात अप्रैल-जनवरी 2024-25 में 44.765 करोड़ डॉलर रहा, जबकि आयात मात्र 42 लाख डॉलर रहा. 2023-24 में निर्यात और आयात क्रमश? 1.18 अरब डॉलर और 28.8 लाख डॉलर था.

वित्त वर्ष 2022-23 और 2021-22 में भारत ने क्रमश? 62.71 करोड़ डॉलर और 51.382 करोड़ डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया और 2.011 करोड़ डॉलर तथा 25.4 करोड़ डॉलर मूल्य के उत्पादों का आयात किया. पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने भी अगस्त 2019 में भारत द्वारा पाकिस्तान से आयात पर भारी आयात शुल्क लगाए जाने के बाद भारत के साथ व्यापार संबंधों को निलंबित कर दिया था. दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसका मुख्य कारण कश्मीर मुद्दा और साथ ही पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद है. इस बीच, कश्मीर घाटी में उपजे तनाव के कारण फियो ने अपनी प्रबंध समिति की बैठक रद्द कर दी है, जो 28 अप्रैल को कश्मीर में होने वाली थी.

फियो के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में करीब 25 सदस्यों को भाग लेना था. अधिकारी ने कहा, ”हमने फियो के आंतरिक मामलों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की योजना बनाई थी. अब हमने इसे रद्द कर दिया है.” वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 1965 में स्थापित यह महासंघ निर्यातकों की समस्याओं को संबंधित अधिकारियों के समक्ष उठाकर उनका समाधान करने में मदद करता है. साथ ही देश के व्यापार को बढ़ावा देता है.