पटना – बिहार में बसंती बयार चुनावी हवा में तब्दील हो चुकी है। यहां असेंबली इंतखाब का ऐलान भले 7-8 महीने बाद होने वाला हो लेकिन सियासी दलों में मची हलचल और उनके नेताओं की बयानबाजी ने अनौपचारिक बिगुल फूंक दिया है। सभी पार्टियां यहां उन मुद्दों की तलाश में जुटी हुई हैं जो उन्हें सत्ता के शीर्ष तक पहुंचा सकें। इस बीच बीजेपी के ‘सियासी चाणक्य’ ने एक बड़ा मुद्दा ढूंढ निकाला है।
आपको बता दें कि इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसके तहत भाजपा मिथिला के सीतामढ़ी में सीता मंदिर के जीर्णोद्धार को चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है। अमित शाह ने इसकी घोषणा भी कर दी है। लेकिन विपक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
अमित शाह ने किया खुला ऐलान
पिछले रविवार को अहमदाबाद में आयोजित शाश्वत मिथिला योजना 2025 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हम सबने मिलकर राम मंदिर बनाया। अब बिहार की धरती सीतामढ़ी में भव्य सीता मंदिर बनना है। हम भगवान राम और माता सीता के आदर्शों पर चलने वाले हैं। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप हमारा साथ दें, ताकि हम इस कार्य को पूरा कर सकें।”
क्या बोले बिहार के विपक्षी दल
सीता मंदिर को लेकर भाजपा की रणनीति हालांकि, भाजपा के इस एजेंडे पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मुख्य विपक्षी दल राजद ने कहा है कि भाजपा को मंदिर के जीर्णोद्धार का श्रेय नहीं लेना चाहिए। वहीं, जदयू ने इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार से अधिक धनराशि की मांग की है।
क्या कुछ कहते हैं सियासी पंडित
सियासी पंडितों का मानना है कि बिहार में मिथिलांचल को साधने वाला सत्ता सुख भोगता है। ऐसे में अमित शाह का यह मुद्दा चुनाव में बीजेपी को विजयश्री दिलवा सकता है। वहीं, इस मुद्दे पर विपक्ष की तरफ से किया गया विरोध उन्हें ही नुकसान पहुंचाएगा।
इसके अलावा विपक्ष यदि समर्थन करेगा तो भी बीजेपी को ही फायदा पहुंचेगा। इस लिहाज से देखा जाए तो विपक्ष को फायदा तभी होगा जब यह मुद्दा ज्यादा लाइमलाइट में न आने पाए, जिसके आसार बहुत कम दिखाई दे रहे हैं।